भगवान शिव के तीसरे नेत्र के बारे में आप सब जानते ही होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र किस स्थान पर खोला था यदि नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी दें रहें हैं। इस स्थान पर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल कर कामदेव को भस्म कर दिया था। यह काफी प्रसिद्ध स्थान हैं और आज भीं इस स्थान पर आप खौलता हुआ पानी देख सकते हैं जो कि इस घटना का जीवंत सबूत हैं।
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देखा जाए तो भारत में सभी धर्मो के लोग साथ साथ ही रहते हैं, पर भारत में सर्वाधिक संख्या हिंदू धर्म के लोगो की हैं इसलिए हिंदू धर्म भारत का प्राथमिक धर्म माना जाता है। हिंदू धर्म में शिव जी को महादेव के नाम से भी जाना जाता हैं। शिव जी को सभी देवो में सबसे बड़ा माना जाता हैं। शिव महापुराण में भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने की कथा विस्तृत रूप में लिखी गई हैं।
इस कथा में बताया गया हैं कि भगवान शिव ने कामदेव को अपना तीसरा नेत्र को खोल कर भस्म कर दिया था, पर उस स्थान के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं जहां पर यह सारा घटनाक्रम हुआ था। आइये अब आपको विस्तार से उस स्थान के बारे में ही बताते हैं।
मणिकर्ण में भगवान शिव ने खोला था अपना तृतीय नेत्र –
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सबसे पहले आपको बता दें कि मणिकर्ण क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं। यह स्थान कुल्लू से महज 45 कि.मी की दूरी पर हैं। इस स्थान के बारे में यह बात मशहूर हैं कि यहां पर शिव जी ने अपनी तीसरी आंख खोल कर कामदेव को जला डाला था। इस स्थान से पार्वती नदी निकलती हैं। यह एक ऐतिहासिक स्थल हैं। इस नदी के एक और भगवान शिव का मंदिर हैं तो दूसरी और सिक्ख धर्म प्रवर्तक गुरु नानक का गुरुद्वारा।
आपको बता दें कि यह स्थान गर्म पानी के श्रोतों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। यहां के खौलते हुए पानी के स्त्रोत लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। इस गर्म पानी के चश्मों से गंधकयुक्त पानी निकलता हैं। यही कारण हैं कि इनमें स्नान करने से लोगों के चर्म रोग सही हो जाते हैं। मणिकर्ण नामक इस स्थान को ही देवी नैना का जन्म स्थान भी माना जाता हैं।