डॉ थीरुवेंगडम वीराराघवन – भगवान का प्रतिरूप हैं यह डॉक्टर, मुफ्त में करते हैं ईलाज

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कहा जाता हैं कि डॉक्टर भगवान का प्रतिरूप होते हैं। आइये आज आपको एक ऐसे ही डॉक्टर से मिलवाते हैं। जैसा की आप जानते ही हैं कि डॉक्टर अपने अनुभव और ज्ञान से लोगों की जान को बचाते हैं। वर्तमान में ऐसे डॉक्टर भी आपने देखें होंगे जो पैसा कमाने के लिए किसी भी हद से गुजर जाते हैं। वहीं दूसरी और कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो अपने ज्ञान और अनुभव का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए करते हैं और लोगों को मौत के मुंह से निकालते हैं।

ऐसे ही एक डॉक्टर है डॉ थीरुवेंगडम वीराराघवन। ये चेन्नई के निवासी हैं। वर्तमान में इनकी उम्र 67 वर्ष हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि डॉ थीरुवेंगडम वीराराघवन अपने पास ईलाज के लिए आने वाले लोगों से महज 2 रूपए फीस लेकर ही उनका ईलाज करते हैं। डॉ थीरुवेंगडम अपने इस परमार्थ के कार्य को 1973 से करते आ रहें हैं। आज डॉ थीरुवेंगडम का नाम चेन्नई में ही नहीं बल्कि दूर दूर तक प्रसिद्ध हो चुका हैं। महज 2 रूपए में ईलाज करने के कारण अब लोग डॉ थीरुवेंगडम को “2 रूपए वाला डॉक्टर” कहते हैं।

न्यूज़ पेपर तथा सोशल मीडिया पर आने के बाद डॉ थीरुवेंगडम का नाम और भी ज्यादा फेमस हो गया और इसका नतीजा यह हुआ कि अब अन्य डॉक्टर उनका विरोध करने लगे हैं। अन्य डाक्टरों का कहना है कि डॉ थीरुवेंगडम को अपनी फीस कम से कम 100 रूपए करनी ही चाहिए।

डॉ थीरुवेंगडम वीराराघवनImage Source:

अन्य डाक्टरों के विरोधी स्वर डॉ थीरुवेंगडम के पल्ले नहीं पड़े और उन्होंने इससे बचने के लिए एक नया उपाय खोजा। अब डॉ थीरुवेंगडम ने अपनी फीस का सारा हिसाब किताब अपने मरीजों पर ही छोड़ दिया हैं। किसको कितनी फीस देनी चाहिए यह सभी कार्य अब मरीजों के ऊपर ही निर्भर करता हैं। फीस के रूप में मरीज कितने पैसे देता हैं वह मरीज के ऊपर ही हैं। कई मरीज पैसे न देकर खाने पीने की चीजें दे जाते हैं तो कुछ अपनी मर्जी से फीस के पैसे दे जाते हैं।

जिनके पास पैसे नहीं होते वे अपना ईलाज बिना किसी फीस को दिए ही करा लेते हैं। बहरहाल डॉ थीरुवेंगडम अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग सभी की भलाई के लिए कर रहें हैं। इस बारे में डॉ थीरुवेंगडम का कहते हैं कि उन्होंने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई समाज की भलाई के लिए की हैं इसलिए वे पैसे नहीं लेते हैं।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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