आपने बहुत से मंदिर तथा दरगाह देखी होंगी पर क्या आपने किसी दरगाह के अंदर बने मंदिर को देखा हैं यदि नहीं तो आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसी दरगाह के बारे में जिसके अंदर मंदिर बना हैं और यहां हिंदू तथा मुस्लिम दोनों एक साथ पूजन तथा इबादत करते हैं। आपको बता दें कि इस इस दरगाह का नाम “बाबा बादाम शाह दरगाह” हैं। यह दरगाह राजस्थान के सोमलपुर गांव में स्थित हैं।
संगमरमर के पत्थर से निर्मित यह दरगाह ताजमहल जैसी लगती हैं। इस दरगाह का निर्माण बाबा बादाम के खास शिष्य “हजरत हरप्रसाद मिश्रा उवैसी” ने करवाया था। वर्तमान में इस दरगाह में हिंदू तथा मुस्लिम दोनों ही आते हैं तथा साथ में इबादत करते हैं। इस प्रकार से ये दरगाह हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बनी हुई हैं।
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बाबा बादाम शाह का जीवन –
बाबा बादाम का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गालव गांव में 1870 में हुआ था। 14 वर्ष की अवस्था से ही बाबा रूहानियत में उतर गए थे। संत प्रेमदास से उनका संपर्क हुआ तो उन्होंने अपना घर तक छोड़ दिया। मगर संत प्रेमदास ने उनको अपना शिष्य नहीं बनाया बल्कि उनसे कहा कि उन्हें उनका मुर्शिद अजमेर में मिलेगा।
अजमेर में गरीब नवाज की दरगाह पर 5 वर्ष तक इबादत करने के बाद बाबा बादाम को मुर्शिद यानि गुरु के रूप में “सय्यदना मोहम्मद निजामुलहक” मिले। इसके बाद अपने मुर्शिद के आदेश से ही बाबा मानव सेवा तथा इबादत में इतने रम गए की लोग उनके पास दूर दूर से आने लगे। बाबा बादाम शाह ने कभी भी किसी धर्म और मजहब में कोई फर्क नहीं समझा इसीलिए आज उनकी दरगाह में मस्जिद तथा मंदिर दोनों हैं। यहां सभी धर्मों के लोग आते तथा आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करते हैं।