चट्टानीकर भगवती मंदिर में मिलती हैं बुरी आत्माओं तथा मानसिक रोगों से मुक्ति, जानें इस खास मंदिर के बारे में

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हमारे देश में बहुत से देव स्थल मौजूद हैं जिनमें से एक हैं चट्टानीकर भगवती मंदिर। इस मंदिर की खासियत यह हैं कि यहां आकर मानसिक रोगो तथा बुरी आत्माओं से छुटकारा मिलता हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर केरल के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता हैं। वैसे तो यह मंदिर देवी आद्य शक्ति को समर्पित हैं लेकिन प्रतिदिन यहां दिन के तीनों अलग अलग समय देवी के तीन रूपों का पूजन किया जाता हैं। सुबह के समय सरस्वती, दोपहर के समय लक्ष्मी तथा शाम के समय देवी दुर्गा के स्वरुप का पूजन किया जाता हैं।

माना जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्व कर्मा ने देवताओं के साथ मिलकर स्वयं किया था, जोकि वास्तु कला के मुख्य देवता मानें जाते हैं। इस मंदिर की प्रतिमा के बारे में भी यही मान्यता हैं कि देवी आद्य शक्ति स्वयं चल कर इस मंदिर की प्रतिमा के रूप में यहां प्रतिस्थापित हुई थी। प्रतिदिन देवी के तीन रूपों को इस प्रतिमा के प्रतीक रूप में पूजा जाता हैं और तीनों समय इस प्रतिमा के वस्त्र भी बदले जाते हैं। सुबह में सफेद, दोपहर में लाल तथा शाम को नीले वस्त्रों से इस प्रतिमा को सजाया जाता हैं।

patients with mental illness get treated here at Chottanikkara Bhagavathy Temple in Keralaimage source:

कहते हैं कि इस मंदिर में देवी आद्य शक्ति को लाने का श्रेय आद्यगुरु शंकराचार्य को जाता हैं। कथा में आता हैं कि शंकराचार्य ने देवी मां की तपस्या कर उनको प्रसन्न किया था और उनसे मंदिर में आने का आग्रह किया था जिसके बाद देवी मां इस मंदिर में प्रतिस्थापित हुई थी। तब से आज तक इस मंदिर में आद्य शक्ति का पूजन उनके तीनों रूपों में होता आ रहा हैं।

इस मंदिर की एक खासियत यह भी हैं कि यहां पर मानसिक रोगियों को अपनी बिमारी से मुक्ति मिलती हैं साथ ही यहां वह लोग भी आते जो किसी बुरी आत्मा से परेशान रहते हैं। इस मंदिर में आने के बाद में ऐसे लोगों को पुजारी के पास लाया जाता हैं। इसके बाद में बुरी आत्माओं को मंदिर में समर्पण करने को कहते हैं और रोगी व्यक्ति के बाल के कुछ टुकड़े लेकर मंदिर के ही एक पेड़ पर बांध दिए जाते हैं जोकि इस बात का प्रतीक होते हैं कि बुरी आत्मा को कैद कर लिया गया हैं और अब रोगी अपनी समस्या से मुक्त हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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