आज के समय में प्रभु श्रीराम को कौन नहीं जानता, पर उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू भी हैं जिनके बारे में कम लोग ही जानते हैं। आज हम आपको प्रभु श्रीराम के जीवन के एक ऐसे ही अनछुए पहलू के बारे में जानकारी दे रहें हैं। यह बात उस समय की है जब प्रभु श्रीराम ने रावण को मार दिया था। इसके बाद उनको कई ऋषियों ने बताया कि रावण क्योंकि एक ब्राह्मण का पुत्र था, इसलिए वह भी ब्राह्मण ही हुआ और आपने उसको मार दिया इसलिए आपको ब्रह्म हत्या का पाप लगा है और आप इसको मिटाने के लिए चक्रतीर्थ सरोवर में स्नान, दान अतः पूजन का कार्य करें। इसके बाद प्रभु श्रीराम ने इस चक्रतीर्थ में स्नान तथा पूजन कर अपने ब्रह्म हत्या के पाप को मिटाया था।
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आपको हम यह भी बता दें कि इस चक्रतीर्थ की उत्पत्ति आखिर कैसे हुई। पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार ऋषि शौनक भगवान ब्रह्मा के पास में अपनी ज्ञान पाने की चाह मिटाने के लिए गए। भगवान ब्रह्मा ने उनको एक चक्र दिया और कहा की इस चक्र की परिधि जिस स्थान पर गिरेगी वहां आप आश्रम बनाकर लोगों को ज्ञानार्जन कराना। इस उपाय से ही आपकी ज्ञान प्राप्ति की चाह शांत होगी। भगवान ब्रह्मा से चक्र लेकर ऋषि शौनक चल पड़े और पृथ्वी पर स्थान-स्थान पर भ्रमण करने लगे। एक बार जब वह गोमती नदी के तट पर आए तो भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा दिए चक्र की परिधि नीचे गिर गई तथा भूमि में समा गई। तब यह स्थान एक सरोवर में परिणित हो गया और इस स्थान पर ही ऋषि शौनक ने आश्रम बनाकर लोगों को ज्ञान से दीक्षित किया। चक्र की परिधि इस स्थान पर गिरने के कारण यह स्थान “चक्रतीर्थ” के नाम से विख्यात हुआ। वैसे वर्तमान में यह तीर्थ “नैमिषारण्य” के नाम से प्रसिद्ध है।