अपने देश में कई प्रकार की मान्यताएं हैं, जिनको लोग अपने जीवन में प्रयोग करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही मान्यता के बारे में जानकारी दे रहें हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में एक बड़ा तबका खेती करता है।
किसान लोगों को खेती के लिए भरपूर वर्षा की आवश्यकता होती है, पर अपने देश में कई स्थानों पर वर्षा नहीं होती है या कम होती है, इसलिए किसान काफी परेशान रहते हैं। इस परेशानी को लेकर ही बिहार राज्य के किसानों ने एक अनोखी मान्यता को जन्म दिया है। इस लोक मान्यता के अनुसार यह कार्य वर्षा कराने में सहायक होता है। आइए अब आपको बताते हैं इस मान्यता के बारे में।
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भारत की पौराणिक कथाओं में इंद्र देव को वर्षा का देवता माना गया है और बिहार के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसान लोगों ने इसी तथ्य को ध्यान में रख कर एक अनोखी मान्यता और पद्धति को जन्म दिया है। इस कार्य में सूखा प्रभावित क्षेत्र के किसान लोगों की कुंआरी लड़कियां अपने कपड़े उतार कर खेतों में हल चलाती हैं। यह कार्य सूर्यास्त के बाद में किया जाता है।
लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देव वर्षा करते हैं। बिहार के किसानों का कहना है कि जब तक अच्छी वर्षा उनके क्षेत्र में नहीं होती है, तब तक वे इस प्रथा को बंद नहीं करेंगे। ऐसे में यह प्रथा आज भी बिहार के कुछ इलाकों में प्रचलित है। किसान लोगों की इस प्रथा को लेकर एक अलग ही मान्यता है, उनका कहना है कि ऐसा करने से देवता शर्मा जाते हैं और वे वर्षा करने पर मजबूर हो जाते हैं।
बिहार में धर्म को लेकर मान्यताएं लम्बे समय से चलती आ रही हैं जिनको लोग आज भी मानते हैं। इस मान्यता के पीछे एक प्राचीन कथा भी है जो कि राजा जनक को लेकर है। कहा जाता है कि राजा जनक के समय में उनके राज्य में अकाल पड़ गया था। इस कारण राजा जनक तथा उनकी पत्नी ने खेत में हल चलाया था जिसके बाद में वर्षा हुई थी। आज भी लोग इस मान्यता को राजा जनक की कथा से जोड़कर देख रहें हैं।