भारत में बड़े स्तर पर मूर्ति पूजा होती आई है और यहां पर बहुत से चमत्कारी मंदिर भी हैं आज हम आपको यहां आपको कुछ ऐसे ही मंदिर से रूबरू करा रहें हैं, देखा जाएं तो भारत में ऐसी देव प्रतिमा या किसी अन्य चिन्ह की पूजा नहीं की जाती है जो खंडित हो चुका हो, पर आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बता रहें हैं वह एक खंडित शिवलिंग ही है, जिसका पूजन करीब 150 वर्षों से किया जा रहा है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस बारे में।
यह मंदिर झारखंड के गोइलकेरा नामक स्थान पर है, इस मंदिर को “महादेवशाल धाम” कहा जाता है। यह करीब 150 वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर का शिवलिंग खंडित अवस्था में है और आज भी इस खंडित शिवलिंग का पूजन लोगों द्वारा किया जाता है। बताया जाता है कि जब भारत में अंग्रेजी शासन था तब गोइलकेरा के निकट के गांव बड़ैला के पास में रेलवे लाइन बिछाने का कार्य चल रहा था और उसी दौरान खुदाई में यह शिवलिंग प्राप्त हुआ था।
image source:
शिवलिंग को देखकर भारतीय मजदूरों ने काम रोक दिया जिसको देख कर उस स्थान पर तत्कालीन इंजीनयर रॉबर्ट हेनरी आया। उसने कहा कि यह एक महज अंधविश्वास है और उसने कुदाल मार कर शिवलिंग को खंडित कर दिया, जिसके बाद में शाम को घर लौटते समय उसकी अचानक मौत हो गई।
इस घटना से अंग्रेज इतना ज्यादा डर गए थे कि उन्होंने रेलवे लाइन बिछाने का मार्ग तक बदल दिया था। इस शिवलिंग के दो टुकड़े हो चुके थे, आज इन दोनों ही टुकड़ों का पूजन किया जाता है एक टुकड़े को महादेवशाल धाम में स्थापित किया गया है, जबकि दूसरे टुकड़े को मां पाउडी देवी मंदिर रतनबुर पहाड़ी पर स्थापित किया गया है।