आम की कई वैराइटी हैं और इनमें से एक है “लंगड़ा आम”, पर क्या आप जानते हैं कि आम की इस वैरायटी का नाम “लंगड़ा” ही क्यों पड़ा? यदि नहीं, तो आइए आज हम आपको बताते हैं इसके पीछे का रहस्य। सबसे पहले तो हम आपको यह बता दें कि हमारे देश में लगभग 1500 प्रजातियों के आमों की खेती की जाती है और जैसे ही गर्मियों का मौसम आता है, वैसे ही बाजार में दशहरी, चौसा आदि कई वैरायटी के आमों की भरमार आ जाती है। इन सभी में एक प्रजाति “लंगड़ा” भी होती है, यह आम हरा तथा मध्यम आकार का होता है। यह आम उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में मिलता है।
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अब हम आपको बताते हैं कि इस आम का नाम “लंगड़ा” आखिर कैसे पड़ा। इसका रहस्य पदम् श्री हाजी कलीमुल्लाह खोलते हैं, जो भारत में आमों की खेती करने तथा नई-नई प्रजातियों को विकसित करने के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। कलीमुल्लाह बताते हैं कि लंगड़े आम की खेती 250 से 300 वर्ष पहले मेरे मामू साहब ने बनारस यानि काशी में की थी।
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असल में उन्होंने एक बार एक आम खाया था जोकि उनको बहुत मीठा लगा, तो उन्होंने उसके बीज को अपने घर पर लगा लिया और समय के साथ आम के पेड़ पर आम भी आ गए। मामू साहब बचपन से ही लंगड़े थे, तो उनके जानकार उनको लंगड़ा ही कहकर बुलाते थे। अब जब एक नई प्रजाति के आम आए और लोगों ने उन आमों को पसंद किया, तो आम की इस प्रजाति का नाम मामू साहब के उपनाम “लंगड़ा” पर ही रख दिया गया। तब ये इस प्रजाति का नाम “लंगड़ा” ही है। कलीमुल्लाह कहते हैं वैसे तो यह आम पूरे भारत में हर जगह मिलता है पर बनारस के लंगड़े आम की बात ही और होती है।”, इस प्रकार से कलीमुल्लाह साहब ने इस बात का राज खोला कि आम की इस विशेष प्रजाति का नाम “लंगड़ा” आखिर कैसे पड़ा।