अपने देश में ही देवी के मंदिर काफी संख्या में मौजूद हैं, पर आज हम लोग जिस मंदिर के बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं वह अपने आप में काफी प्रसिद्ध मंदिर है। असल में यहां पर राजा अपना सिर काट कर देवी को चढ़ाते थे। जी हां, यह इस मंदिर का वह इतिहास है, जिसको जानकार आज भी लोग चकित रह जाते हैं। इस मंदिर की कई अनोखी विशेषताएं हैं जिनकी वजह से लोग यहां आज भी बड़ी मात्रा में आते हैं, आइए अब आपको हम बताते हैं इस मंदिर के बारे में।
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आपकी जानकारी के लिए सबसे पहले हम बता दें कि इस मंदिर का नाम “हरसिद्धि मंदिर” है और यह मंदिर मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन में है। यह काफी प्राचीन मंदिर हैं। राजा विक्रमादित्य का नाम भारत के महान राजाओं में लिया जाता है और यही राजा विक्रमादित्य देवी हरसिद्धि के महान उपासक तथा भक्त थे। राजा विक्रमादित्य देवी हरसिद्धि के इस मंदिर में प्रत्येक अमावस्य को विशेष अनुष्ठान करते थे तथा उनको प्रसन्न करने के लिए अपना सिर काट कर चढ़ा देते थे । देवी हरसिद्धि विक्रमादित्य के इस समर्पण से प्रसन्न होकर उनका सिर हर बार जोड़ देती थी। आपको पता होगा ही कि देवी सती के अंग जिस जिस स्थान पर गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठ के नाम से जाने जानें लगे और इन्ही शक्तिपीठों में एक उज्जैन का “हरसिद्धि देवी मंदिर” माना जाता है, मान्यता के अनुसार इस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी। कहा जाता है कि हर सुबह देवी हरसिद्धि गुजरात के हरसद गांव स्थित अपने मंदिर में जाती हैं और शाम को आराम के लिए उज्जैन के इस मंदिर में आ जाती हैं, इसलिए उज्जैन के इस मंदिर में शाम की होने वाली आरती बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।