अपने देश में बहुत से धार्मिक स्थल हैं, पर कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां पर काफी अजीब परंपराओं का पालन किया जाता है और आज हम आपको एक ऐसे ही धार्मिक स्थल से रूबरू कराने जा रहें हैं, जहां लोग प्रसाद में फल-फूल नहीं बल्कि घोड़े चढ़ाते हैं। जी हां, और इसलिए यह मंदिर लोगों में काफी चर्चा का कारण बना हुआ रहता है, इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं इस मंदिर के बारे में।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस मंदिर का नाम ” हाथी-घोड़ा बाबा” है और यह मंदिर झारखंड प्रदेश के जमशेदपुर से 10 किमी की दूरी पर सरायकेला नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर करीब 300 वर्ष पुराना बताया जाता है और यहां पर प्रसाद में लोग फल-फूल के स्थान पर घोड़े का दान करते हैं। आइए अब आपको बताते हैं इस मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में।
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इस मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में यहां के लोगों का कहना है कि यहां पर द्वापर युग में भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ घोड़े पर आए थे और यहां की धरती पर खेती करने की योजना बनाई थी, जिसके लिए बलराम ने अपने हल से यहां की घाटी को खेती लायक बनाया था, पर बाद में दोनों के जानें के बाद उनके घोड़े इस स्थान पर रहने लगे।
जिसके कारण इस स्थान को लोग “घोड़े बाबा का स्थान” कहने लगे और यहां पर घोड़े के दान की प्रथा ने जन्म ले लिया। मकर संक्राति पर इस मंदिर में काफी लोग आते हैं तथा अपनी मन्नत मांगते हैं और जिसकी भी मन्नत यहां से पूरी होती है, वह इस मंदिर में “मिट्टी से बना घोड़ा” दान करते हैं। यह प्रथा आज भी यथावत जारी है।