अपने देश में लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं और इसी कारण समाज में कई प्रथाओं की शुरूआत हुई हैं। इनमें से कुछ प्रथाएं तो बहुत ज्यादा अजीब हैं और इसी क्रम में आज हम आपको जानकारी दे रहें हैं एक ऐसी प्रथा की जिसमें लड़की की शादी पौधें से की जाती है।
जी हां, आपको जानकार आश्चर्य होगा कि यह शादी पूरी विधि विधान से की जाती है, यानि इसमें शादी की हर रस्म निभाई जाती है। हर दुल्हन का पौधे से यह विवाह किसी लड़के से शादी करने से कुछ समय पहले किया जाता है। आइए अब आपको बाते हैं कि यह विवाह आखिर कहां किया जाता है और क्यों किया जाता है।
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि पौधे से विवाह की यह प्रथा झारखंड प्रदेश के संताल आदिवासी जनजाति में किया जाता है। यह आदिवासी लोग इस शादी को “मातकोम बापला” कहते हैं। असल में मातकोम का अर्थ इनकी भाषा में “महुआ” तथा बापला का अर्थ “शादी” होता है।
इस विवाह में लड़की की शादी महुआ के पौधे के साथ करा दी जाती है, इसीलिए इसको “मातकोम बापला” कहा जाता है। असल में इस शादी को “पर्यावरण संरक्षण” के उद्देश्य से किया जाता है। संताल जनजाति के लोगों का इस प्रकार के विवाह के बारे में कहना है कि आदिवासी समाज शुरू से ही प्रकृति के करीब होता है और आज के समय में प्रकृति का बहुत क्षय हो रहा है, इसलिए मूल शादी से कुछ समय पहले लड़की की शादी पौधे से ही जाती है और शादी के बाद उस पौधे की देखभाल लड़की ही करती है तथा उसको काटने नहीं दिया जाता है। इस प्रकार से यह विवाह “पर्यावरण संरक्षण” के उद्देश्य को पूरा करता है।