अंतरिक्ष विज्ञान ने हमारे ग्रह के अलावा भी दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं की तलाश में अहम कामयाबी हासिल की है। जिंदगी के लिए सबसे पहले हवा और पानी की ज़रूरत होती है। दुनियाभर की कई संस्थाए खंगालने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। इसी खोज के दौरान मंगल ग्रह की सतह पर कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जिससे वैज्ञानिकों को जीवन की संभावनाएं नजर आने लगी हैं। मंगल ग्रह को सूर्य से चौथा ग्रह माना जाता है।
पृथ्वी के निकट होने के कारण इसकी छाया उस पर पूरी पड़ती है जिससे मंगल ग्रह लाल दिखाई देता है। हमारे सौर मंडल के ग्रहों को दो श्रेणियों में रखा गया है, एक तो वह ग्रह जो गैसीय होते है जिसमें जीवन असभंव होता है। दूसरा जो धरातलीय होते हैं। जिसमें जीवन की संभावना होती है। और लंबी पड़ताल के बाद जो नतीजे आए हैं उनकी माने तो पृथ्वी की तरह मंगल भी धरातलीय ग्रह है। इसमें भी पृथ्वी के समान पहाड़ देखे जा सकते हैं, इसके अलावा इसका घूर्णन चक्र भी पृथ्वी के समान ही पाया गया है।
कुछ रिसर्च में यह भी पाया गया है कि मंगल में पानी के समान कुछ तरल अवस्था में जल होने की संभावनाएं पायी गई हैं। इन्हीं खोजों से पता चला है कि मंगल में कई अरब साल पहले लंबे समय तक झीलें और जलधरायें थीं। जिससे यह बात पूरी तरह से स्पष्ट होती है कि मंगल ग्रह पर जीवन रहा होगा, और इस तथ्य को साबित करने में भारतीय वैज्ञानिक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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नासा के मार्स सांइस लैब टीम के रिसर्च की माने तो उसमें काफी समय पहले पानी के जो तथ्य मिले हैं वो अब ठोस रूप में तब्दील हो चुके हैं। यही ठोस आकार परत में जमा होकर माउंट शार्प पर्वत में बदल चुका है। यह पर्वत क्रेटर के बीच पाया जाता है। निक्षेप परत के रूप में जमा है जिसने माउंट शार्प को निर्मित किया, यह पर्वत क्रेटर के बीच पाया गया, और आज की यह जानकारी भी सिर्फ उन्हीं तथ्यों के आधार पर है कि लाल ग्रह पर पानी का अस्तित्व था। इसमें प्राचीन समय में झीलें भी रही होगीं और अरबों साल पहले मंगल बहुत हद तक पृथ्वी के समान ही रहा होगा।
आज की ताजा जानकारियों के अनुसार मंगल पर अत्याधिक बारीक कणों वाला जमा हुआ पानी प्रचुर मात्रा में मिला है। जो झील के तलछट की तरह ही दिखते है। जो इस बात का संकेत देते हैं कि झील के रूप में ठहरा हुआ पानी लंबे समय तक रहा होगा।