क्या कोई व्यक्ति हजारो सालों तक एक ही शरीर में रह सकता है, शायद नहीं, पर यहां हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवा रहें हैं, जो की हजारों सालों से जीवित हैं और ईसा मसीह से लेकर शंकराचार्य भी उनके शिष्य रह चुके हैं। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवा रहें हैं जो की हजारों सालों से जीवित है और यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, बल्कि ये एक प्राचीन महायोगी हैं, जिनको आमतौर पर “महाअवतार बाबा जी” के नाम से जाना जाता है। असल में ये इतने प्राचीन समय के हैं कि आज तक कोई इनके वास्तविक नाम या घर आदि के बारे में नहीं जानता है, इसलिए इनके अनुयायी आज इनको “महावतार बाबा जी” या “बाबा जी” के नाम से ही जानते हैं।
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इनके विषय में आपको कई पुस्तके आज के समय में मिल जाएंगी, पर इनके बारे में सबसे पुरानी और सही जानकारी वाली किताब की बात करें तो वह “योगी कथामृत” नामक किताब है, इस पुस्तक को “परमहंस योगानंद” ने लिखा है, जो की इनके ही अनुयायी थे और एक प्रसिद्ध योगी तथा आध्यात्मिक गुरु रहें हैं। अपनी लिखी इस किताब में परमहंस, बाबा जी के विषय में अनेक बातें लिखी हैं, उन्होंने बताया है कि “बाबा जी ने हिमालय में कई वर्षों तक समय बिताया और बाबा जी ने सदियों से ही आध्यात्मिक रूझान वाले लोगों का मार्ग-दर्शन किया है। बाबाजी एक सिद्ध हैं और साधारण मनुष्य की सीमाओं से आगे बढ़कर समस्त मानवों के आध्यात्मिक विकास के उद्देश्य के लिए चुपचाप अपने कार्य में लगे हुए हैं। बताया जाता है आदि शंकराचार्य और ईसा मसीह ने भी बाबा जी से दीक्षा ली थी।”, आगे परमहंस लिखते हैं कि “बाबाजी की जन्मस्थली और परिवार के विषय में किसी को कुछ भी पता नहीं चल सका। जो भी उनसे मिले, उन्हें हमेशा बाबा जी की उम्र 25-30 वर्ष ही लगे हैं, परमहंस योगानंद ने अपनी किताब “योगी कथामृत” में कई चकित कर देने वाली घटनाओं का भी उल्लेख किया है, जो की बाबा जी से ही संबंधित रही हैं, बाबा जी के अनुयायियों के अनुसार आज भी बाबा जी अपने शरीर में जीवित हैं और लोगों की मदद करते हैं, जब भी कोई महज “बाबा जी” शब्द को मुंह से लेता है, तो उसको बाबा जी का आशीर्वाद उस समय ही मिल जाता है।