मंदिर तो आने काफी देखे होंगे पर आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जहां पर 5 हजार साल पुराने दो दोस्तों की पूजा होती है तो आइये जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में। यह मंदिर “नारायण धाम” के नाम से जाना जाता है और यह मंदिर उज्जैन में महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी. दूर है। वैसे तो यह श्री कृष्ण का मंदिर है पर दुनिया का यह ही एकमात्र मंदिर है जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में यहां विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में आप कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं।
मंदिर का महत्त्व –
श्रीमद्भागवत के अनुसार श्री कृष्ण की शिक्षा उज्जैन के आचार्य संदीपनी के आश्रम में हुई थी और इसी आश्रम में आने के बाद में ही श्री कृष्ण की मित्रता सुदामा नामक एक ब्राह्मण से हुई थी। कथा के अनुसार एक बार शाम के समय दोनों मित्र लकड़िया लेने के लिए जंगल गए और आते समय रात में बारिश हो गई।जिसके बाद में दोनों ने वहीं पर पेड़ो पर बैठ कर रात बिताई थी। कहा जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां पर श्री कृष्ण और सुदामा ने रात बिताई थी और माना जाता है कि इस मंदिर में लगे पेड़ भी उन्हीं लकड़ियों से पैदा हुए हैं जो की उस समय कृष्ण और सुदामा ने इक्कठी की थी। खैर नारायण धाम नामक यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर 5 हजार साल पुरानी इस मित्रता के प्रति आज भी लोग श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं।