मंदिर अपने देश में बहुत हैं और कई मंदिर ऐसे भी हैं जिनकी अपनी अलग विशेषता रही है, आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जो की पिछले 112 साल से लगातार बनाया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यह मंदिर ताजमहल को भी पीछे छोड़ देगा। इस मंदिर में 200 लोग कार्य पर लगे हुए हैं, इसको बनाने में अभी तक 4 पीढियां बीत चुकी हैं और लोगों का अनुमान है कि इस मंदिर का कार्य पूरा होने में अभी 10 साल और लगेंगे। इस मंदिर को बनाने में अभी तक 400 करोड़ रूपए का खर्च आ चुका है। आइये जानते हैं इस मंदिर के कुछ इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स।
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1- यह मंदिर राधा-स्वामी मत के सबसे पहले गुरु पूरन धानी महाराज की समाधि स्थल के रूप में उनकी याद में बनाया जा रहा है।
2- इस मंदिर का निर्माण ताजमहल के सामने ही दयाल बाग आगरा में किया गया है।
3- इस मंदिर की नींव ताजमहल की ही तरह 52 कुओं पर रखी गई है।
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4- इस मंदिर के पिलर, जमीन के अंदर 50 से 60 फीट की गहराई पर पत्थर डाल कर बनाये गए हैं।
5- इस मंदिर के गुम्बद को इस प्रकार से बनाया गया है की किसी प्रकार का तूफान या भूकंप इस मंदिर को कोई क्षति नहीं पंहुचा सकता है।
6- इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत 1904 में हुई थी और अब तक 112 साल बीत चुके हैं।
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7- इस मंदिर का नक्शा इटली की एक कंपनी ने 100 साल पहले बनाया था।
8- 200 लोग इस मंदिर को लगातार 112 साल से बना रहें हैं और अब तक 4 पीढ़िया बीत चुकी
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आखिर स्वामी पूरन धानी थे कौन –
पूरन धानी जी को राधा-स्वामी मत का प्रथम गुरु कहा जाता है। इनका जन्म 24 अगस्त 1818 को आगरा में ही हुआ था। जन्म के बाद में उनका नाम “शिव दयाल सिंह” रखा गया था। उत्तरप्रदेश के बांदा जिलें में उन्होंने एक सरकारी ऑफिस में फारसी विशेषज्ञ के तौर पर अपना कार्य शुरू किया था और इसके बाद में वह फारसी के टीचर भी रहें। 1861की बसंत पंचमी को शिव दयाल जी ने सत्संग जारी किया था। आज के दौर में राधा स्वामी मत के अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका सहित दुनिया के बहुत से देशों में इनकी शाखाएं हैं। बसंत पंचमी के दिन दुनिया भर के राधा स्वामी मत के अनुयायी आगरा के दयाल बाग में इक्कठा होते हैं।