श्रीमद्भगवदगीता को दुनियाभर में एक आदर्श धर्म ग्रंथ के तौर पर मान्यता मिली हुई है, यह इतना प्रभावशाली है कि प्रत्येक व्यक्ति इससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन की सभी समस्याओं को सुलझा सकता है। इस ग्रंथ के कारण ही इस दुनिया में कई लोगों ने भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के चरम शिखर को छुआ है हालांकि श्रीमद्भगवदगीता को मोटे तौर पर हिंदू धर्म ग्रंथ माना गया है पर साल में यह किसी भी धर्म की सीमा से कहीं ज्यादा आगे है यानी गीता किसी एक धर्म की ही नहीं बल्कि सभी के लिए सामान रूप से अपनी प्रेरणा देने वाला ग्रंथ है।
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यही कारण है कि बहुत से अलग-अलग धर्म के लोगों ने भी गीता से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को गतिशील किया है इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं गीता के कुछ ऐसे श्लोक जिनमें किसी भी व्यक्ति के जीवन की परेशानियों को दूर करने की अद्भुद क्षमता है। आइये जानते हैं इन चमत्कारी प्रभावशाली श्लोकों को।
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1- श्लोक- त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तरमादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
अर्थ- “काम, क्रोध व लोभ। यह तीन प्रकार के नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं अर्थात् अधोगति में ले जाने वाले हैं, इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।”
मैनेजमेंट सूत्र – यहां पर यह बात स्पष्ट की गई है कि यदि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन के उच्चतम शिखर को छूना है तो उसको अपनी इच्छाएं, गुस्सा करना और लालच को छोड़ना होगा अन्यथा वह कभी भी अपने लक्ष्य में कामयाब नही होगा।
2- श्लोक- योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
अर्थ- “हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म करो, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।”
मैनेजमेंट सूत्र- यहां पर कर्तव्य या कर्म को धर्म का स्वरुप बताते हुए कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अपने यश-अपयश की चिंता किये बगैर अपने कर्म में प्रवत्त होना चाहिए, ऐसा करने पर ही उसको बेहतर परिणाम मिलेंगे और वह अपने जीवन को अधिक ऊंचा बना सकेगा।
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3- श्लोक- ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।
अर्थ- “हे अर्जुन। जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।”
मैनेजमेंट सूत्र – यहां कृष्ण बता रहें हैं कि जो भी व्यक्ति किसी अन्य के साथ में जैसा भी व्यवहार करता है वैसा ही उसको फल मिलता है इससे यह समझ लेना चाहिए कि हम लोगों को दूसरे लोगों के साथ में सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि हम लोगों के साथ भी अन्य लोग अच्छा व्यवहार करें और इस प्रकार से हम और अन्य लोग एक दूसरे की सहायता करते हुए अपने जीवन के चरम शिखर तक पहुंच सकें।