जैसा की आप जानते ही होंगे कि किसी भी पहाड़ या किसी अन्य ऊंचे स्थान से गिरने वाली जलधारा को झरना कहा जाता है और आपने बहुत से झरने देखे भी होंगे। जिनसे किसी न किसी स्त्रोत्र से पानी आता है पर आज हम आपको एक ऐसे झरने के बारे में बता रहें हैं, जिसमें आने वाले पानी के स्त्रोत्र का आज तक किसी को नहीं पता चल सका है, इस झरने के पानी का स्त्रोत्र आज भी सभी लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। आइये आज आपको बताते हैं इस रहस्यमय झरने के बारे में।
यदि आप छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर शहर से 75 किमी. आगे की और जायेंगे तो आपको चैतमा नामक गांव के पास एक झरना देखने को मिलेगा। जिसका नाम है “नरसिंह गंगा झरना”, यह झरना अपनी अनूठी वजह से लोगों में खासा प्रसिद्ध है। यह झरना 500 फ़ीट की ऊंचाई से इस स्थान पर साल भर एक ही स्पीड में बहता रहता है पर इसके साथ में यह रहस्य भी जुड़ा है कि इस झरने में आने वाला पानी आखिर कहां से आता है। झरने में आने वाले पानी का स्त्रोत्र आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। यहां तक की यहां के स्थानीय बुजुर्ग निवासी भी इस झरने के स्त्रोत्र के बारे में नहीं जानते हैं। गांव इरोम के एक स्थानीय निवासी बुजुर्ग ने बताया कि यदि आप इस झरने के पहाड़ के ऊपर पहुंचते हैं तो आपको वहां पर एक मैदान मिलता है जो की खाली है, वहां तक बहुत ही कम लोग पहुंच पाते हैं। इस प्रकार से पहाड़ के ऊपर खाली मैदान होने की वजह से लोग बहुत चकित होते हैं और उनके मन यह प्रश्न उठता ही है कि यदि पहाड़ के ऊपर में खाली मैदान हैं तो 500 फ़ीट की ऊंचाई से गिरने वाले झरने में पानी आखिर आता कहां से है।
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इस झरने पर साल भर काफी सैलानी आते रहते हैं। इसके अलावा इस स्थान पर दोनों ही नवरात्रियों तथा कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा में मेला भी लगता है एवं महाशिवरात्रि पर इस स्थान पर भगवान नरसिंह देव की पूजा भी की जाती है। इस स्थान के आसपास गुफाएं भी मौजूद हैं तथा एक पत्थर को भैरव का प्रतीक माना जाता है। झरने के पहाड़ के दूसरी और “बाल गंगा” नामक एक अन्य छोटा झरना भी मौजूद है। सावन के माह में यहां पर सैलानी काफी मात्रा में आते हैं।