आपको भी प्रेरित करेगी इस बहादुर बेटी की कहानी

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वो कहते हैं ना कि इंसान कितना भी आगे क्यों ना पहुंच जाएं, लेकिन उसे कभी भी अपने गुजरे हुए समय को नहीं भूलना चाहिए। इन शब्दों को ध्यान रखते हुए भारतीय महिला हाॅकी टीम की खिलाड़ी रानी रामपाल भी कभी अपने गुजरे हुए समय को नहीं भूलना चाहती हैं। जिस तरह गरीबी में उन्होंने अपने दिन काटे हैं। आज वह भारत को परिभाषित करने के लिए विदेश में ओलंपिक खेलने के लिए गईं हैं। सिर्फ रानी ही नहीं उनके पिता भी कभी अपने गुजरे दिनों को नहीं भूलना चाहते हैं, इसलिए बेटी के रियो जाने के बावजूद भी वह दूर गांव हरियाणा में रहकर घोड़ा गाड़ी पर माल ढोने का काम कर रहे हैं।

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जी हां, अंबाला में आज भी रानी के पिता मजदूरी करते हैं, और रानी को अपने पिता पर पूरा गर्व है। उन्हें पिता के मजदूरी करने पर जरा सा झिझक नहीं है। बेटी को इतनी शोहरत और पैसा मिलने के बाद भी पिता आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं।

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पिता को भी अपनी बेटी पर पूरा गर्व है, उनका कहना है कि लड़की होने के बावजूद भी रानी ने अपना कर्त्तव्य बखूबी निभाया, अब आशा करता हूं कि वह देश का नाम भी रोशन कर रियो से भारत लौटेंगी। रानी ने अपनी ट्रेनिंग द्रोणाचार्य अवार्डी कोच बलदेव सिंह से ली, और अपनी जिद के बदौलत सफलता के शिखर को छुआ। ऐसे में हम तो यही कामना करते हैं, कि रानी भारत रियो ओलंपिक में भी इतना अच्छा खेले की उनपर हमारे देश के हर नागरिक को गर्व हो।

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Deepa
Deepahttp://wahgazab.com/
Born to 'READ' and 'WRITE' A journalism graduate from International Polytechnic for women. A young writer with the fond of writing over entertainment and socio-political issues in various verses.

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