वैसे तो भूतों के विषय में कई वर्षों से चर्चाएं चली आ रही हैं। कोई कहता है कि भूत जैसी कोई चीज नहीं होती, तो कोई कहता है कि इनका भी समाज में अपना वजूद होता है। इनकी भी अपनी एक दुनिया होती है। भारत में भी कई भूतिया जगहें हैं, जहां पर जाना और रुकना आज भी मना है। इन भूतिया जगहों में ही प्रमुख है भानगढ़ का किला।
इस किले से रात में आवाजें आती हैं। साथ ही पुरातत्व विभाग ने भी सूर्यास्त के बाद इस जगह प्रवेश न करने की चेतावनी दे रखी है। कहा जाता है कि इस किले में पड़ोसी राज्य से हुए आक्रमण में मारे गए सभी लोगों की आत्माएं आज भी एक तांत्रिक के श्राप के कारण कैद हैं और रात होते ही यह आत्माएं पूरे किले में भटकना शुरू कर देती हैं। इस कारण लोग इसे भूतों का भानगढ़ भी कहते हैं।
कहां है स्थित-
यह किला राजस्थान राज्य के अलवर में स्थित है। भानगढ़ का किला तीन तरफ से अरावली की पहाड़ियों से ढका हुआ है। इस किले की सुरक्षा के लिए दो पहाड़ियों को जोड़ा गया है। इस प्राचीर के बाद बाजार शुरू होता है। बाजार की समाप्ति के बाद उसका राजमहल से विभाजन के लिए त्रिपोलिया द्वार बनाया गया है। इस किले में कई मंदिर भी हैं।
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कैसे बना यह भूतों का किला-
बताया जाता है कि भानगढ़ की एक राजकुमारी थी। इस राजकुमारी का नाम रत्नावती था। रत्नावती बेहद ही खूबसूरत थी। उसकी खूबसूरती के कारण ही देश के हर कोनों से उनके विवाह के लिए प्रस्ताव आ रहे थे। राजकुमारी अक्सर बाजार में जाकर एक इत्र की दुकान पर रुक कर इत्र लेती थी। एक बार बाजार में राजकुमारी को कुछ ही दूरी पर खड़ा एक काला जादू करने वाला तांत्रिक देख रहा था। सिंधु सेवड़ा नामक यह तांत्रिक भी भानगढ़ में ही रहता था। साथ ही यह राजकुमारी के रूप पर मोहित था और उसे पाना चाहता था। उसने देखा कि राजकुमारी को एक इत्र पसंद आता है। बस उस तांत्रिक ने राजकुमारी को पसंद आने वाले इत्र में काला जादू कर दिया ताकि राजकुमारी इत्र को सूंघते ही उसके वशीकरण में आ जाएं, लेकिन यह बात राजकुमारी के विश्वसनीय व्यक्ति को पता चल गई और उसने यह बात राजकुमारी को बता दी। राजकुमारी रत्नावती ने उस इत्र की बोतल को उठाया और पत्थर पर फेंक कर तोड़ दिया। बोतल के पत्थर पर टूटते ही पत्थर लुढ़कता हुआ तांत्रिक के पीछे-पीछे चल दिया और पत्थर ने तांत्रिक को कुचल दिया। पत्थर के कुचलने से तांत्रिक की मौत हो गई। मरने से पहले तांत्रिक ने श्राप दिया कि इस किले में रहने
वाले लोग जल्द ही मारे जाएंगे और वह दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे। उनकी आत्माएं यहीं भटकती रहेंगी। उसके कुछ ही दिनों के बाद भानगढ़ की पड़ोसी राज्य अजबगढ़ के साथ लड़ाई हुई। इस लड़ाई में सभी लोगों की मौत हो गई और श्राप के कारण वह आत्माएं यहीं पर भटकने लगीं। कहा जाता है कि वो आत्माएं आज भी इस किले में भटकती हैं।
तांत्रिक के वंशज ही यहां के मंदिरों में करते हैं पूजा-
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बताया जाता है कि किले अंदर सोमेश्वर महादेव के मंदिर पर तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के वंशज ही पूजा करते हैं। पुजारियों का कहना है कि किले के भूत केवल किले के खंडहर में ही रहते हैं। खंडहर के पास ही एक मंदिर है जिससे वह बाहर नहीं आ पाते।