आंध्र प्रदेश के तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर बहुत मशहूर है। ये मंदिर भारत के अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। मशहूर होने के साथ-साथ इससे जुड़ी कुछ मान्यताएं भी हैं जिसे भक्त सच मानते हैं। आप इन मान्यताओं को सच मानें या ना मानें, लेकिन भक्त इन अनोखी बातों को सच मानते हैं।
सबसे पहली मान्यता ये है कि इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली बाल माने जाते हैं। भक्त कहते हैं कि ये बाल हमेशा मुलायम रहते हैं और उलझते नहीं।
आपको बता दें की वेंकटेश्वर मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है। अगर आप कान लगाकर सुनेंगे तो आप को सागर में पानी बहने की आवाज सुनाई देगी।
कहा जाता है मंदिर के दरवाजे के पीछे रखी हुई छड़ी को भगवान के बाल रूप को मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उस दौरान बालाजी को चोट लग गई थी जिस पर चंदन का लेप ठोड़ी पर लगाने की शुरूआत हुई थी।
आप भगवान की मूर्ती देखेंगे तो आपको गर्भ गृह के बीच में दिखाई देगी, लेकिन जब आप बाहर की ओर से देखेंगे तो वो दाईं ओर दिखाई देगी।
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पको ये जानकर हैरानी होगी कि मूर्ति पर चढ़ाया गया तुलसी और फूल भक्तों में बांटने की बजाय परिसर के पीछे पुराने कुंए में फेंक दिया जाता है।
गुरुवार के दिन वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ती को चंदन के रंग में रंग दिया जाता है, लेकिन इसे हटाने पर मूर्ती पर लक्ष्मी मां के चिह्न नहीं हटते हैं।
फूल और पत्तियों का चढ़ाया गया चढ़ावा कुंए में फेंकने के बाद देखना अशुभ माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि 18वीं सदी में इस मंदिर को 12 सालों के लिए बंद कर दिया था। उस दौरान राजा ने 12 लोगों को मृत्यु की सजा देकर मंदिर की दीवार पर लटका दिया था। ये मान्यता है कि उस समय वेंकटेश्वर स्वामी प्रकट हुए थे।
इस मंदिर में एक ऐसा दीया है जो कई सालों से जल रहा है। मंदिर में किसी को नहीं पता कि ये दीया कब से जल रहा है।
तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर पचाई कर्पूरम चढ़ाया है। इसे सामान्य पत्थर पर चढ़ाने से वो पत्थर चटक जाता है, लेकिन इसका मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं होता है।