अगर आपके सामने कोई सड़क दुर्घटना घट जाती है और आप घायल की मदद करने से इसलिए कतराते हैं ताकि पुलिस आपको परेशान ना करें, तो अब ऐसा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केन्द्र के दिशा निर्देशों को मंजूरी देते हुए कहा है कि अब सड़क दुर्घटना के दौरान मदद करने वालों को पुलिस परेशान नहीं किया करेगी।
दरअसल जब भी कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल हुए लोगों की मदद करता था तब पुलिस उसको कई औपचारिकताओं को लेकर परेशान करती थी। जिससे लोग तंग आ जाते थे और सोचते थे कि हमने मदद कर के गलती कर दी। इस तरह के मामले को लेकर नयायमूर्ती गोपाल गौड़ा और अरुण मिश्रा ने केंद्र सरकार से नए निर्देशों का प्रचार प्रसार करने को कहा है ताकि लोग परेशानी के समय दूसरों की मदद कर सकें। इसके अलावा वो लोग पुलिस द्वारा प्रताड़ित ना हों।
जानिए क्या दिए गए हैं दिशा निर्देश-
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अब पुलिस सड़क दुर्घटना के दौरान मदद करने वाले को परेशान नहीं करेगी और ना ही किसी कानूनी प्रक्रिया में उलझाएगी।
अगर किसी ने पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया तो वो उसके बाद अपने घर जा सकेगा। उस पर पुलिस नाम, पता बताने के लिए दबाव नहीं डाल सकती।
इसके अलावा ना ही कोई अस्पताल मदद करने वाले व्यक्ति को केस दर्ज कराने के लिए मजबूर करेगा। इसी के साथ पुलिस उसे गवाह बनाने का दबाव भी नहीं डाल सकती।
वो व्यक्ति बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा गवाही दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं कि निर्देशों का पालन ना करने वाले पुलिसकर्मी और अस्पताल के खिलाफ कारवाई हो सकती है।
ऐसे में इन निर्देशों के बाद कोई भी व्यक्ति किसी घायल की मदद कर सकता है। बता दें कि सेव लाइफ फाउंडेशन संगठन ने 2012 में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा था कि लोग घायलों की इसलिए मदद नहीं करते क्योंकि उन्हें बाद में पुलिस कानूनी दांवपेंच में उलझाती हैं।