इस बात से तो आप सभी वाकिफ हैं कि आजकल देश में ‘भारत माता की जय’ बोलने और बुलवाने का मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जहां अभी तक ‘भारत माता की जय’ बोले जाने पर जोर दे रहे थे, वहीं उनके सुर अब बदले-बदले से हो गये हैं। दरअसल उन्होंने अपने बयानों से अचानक यू-टर्न ले लिया है। अब भागवत ने कहा है कि ‘भारत माता की जय’ बोलने के लिए किसी को मजबूर करने की जरूरत नहीं है। भागवत के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
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उन्होंने अपना ये यू-टर्न वाला बयान लखनऊ के एक कार्यक्रम में दिया। इस दौरान भागवत ने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना है जहां लोग खुद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगायें। इसे जबरन थोप कर लागू करने की जरूरत ना पड़े। भागवत के मुताबिक हमें अपने आदर्शों से ऐसे भारत का निर्माण करना है जहां लोग खुद भारत माता की जय बोलेंगे। संघ का काम किसी को जीतना या उस पर विचार थोपना नहीं है। हमें अपने आदर्शों और आचरण से ऐसा काम करना होगा जिससे लोग खुद ही इस रास्ते पर आ जाएं। भागवत ने कहा कि ऐसा काम कथनी-करनी में अंतर खत्म करके ही किया जा सकता है। हमें अपनी जिंदगी में भी भारत को जीना होगा।
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बता दें कि इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी इस तरह के नारों को लेकर जारी विवाद को निर्रथक करार दे चुके हैं। आपको पता होगा कि यह मामला ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन औवेसी के ‘भारत माता की जय’ बोलने से इनकार के बाद काफी गर्माया था। उन्होंने कहा था कि कोई मेरी गर्दन पर छूरा भी रख देगा तो भी ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलूंगा, क्योंकि हमारा संविधान कहीं नहीं कहता है कि ‘भारत माता की जय’ बोलना जरूरी है।
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वहीं दूसरी ओर मोहन भागवत के ऐसे यू-टर्न के पीछे कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी पीडीपी से गठबंधन कर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि क्या बीजेपी महबूबा मुफ्ती से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ‘भारत माता की जय’ बुलवाएगी। इन्ही सब के चलते मोहन भागवत के बयानों में अंतर देखने को मिल रहा है।