आजकल के समय में भूत-प्रेत जैसी चीजों को कोई मानता नहीं है। इसको एक मनोवैज्ञानिक बीमारी या वहम कहा जाने लगा है, पर बहुत सी घटनायें इस प्रकार की होती हैं जो कहीं न कहीं हमारे मन में इस प्रकार की चीजों के प्रति विश्वास पैदा करने लगती हैं। दो प्रकार के व्यक्ति समाज का हिस्सा हैं, एक वह जो भूत आदि में विश्वास रखते हैं और एक वह जो इन चीजों को मानते ही नहीं हैं। जो इस प्रकार की चीजों पर विश्वास करते हैं उनकी धारणा यह है कि भूतों की दुनिया हमारी आम दुनिया से कहीं अलग है, पर कभी-कभी मानव और भटकती आत्माओं की भेंट हो ही जाती है। आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में लोगों का मानना है कि यहां इंसान नहीं भूत रहते हैं।
कहां है यह भूतिया गांव-
यह गांव उत्तराखंड के चम्पावत जिले में स्थित है। इस गांव का नाम “स्वला” है। इस गांव की खास बात यह है कि इस गांव में वर्तमान समय में कोई नहीं रहता है। यह गांव एकदम खाली है। लोगों का कहना है कि यह गांव अब भूतों का बसेरा बन चुका है और अब इस गांव में भूत ही रहते हैं, इसलिए इस गांव में कोई व्यक्ति नहीं रहता। कई बार इस गांव से तरह-तरह की आवाजें सुनने को मिलती हैं। लोगों का कहना है कि ये फौजियों की भटकती आत्माएं हैं जो इस गांव के लोगों से बदला लेने के लिए आज भी भटक रही हैं।
फौजी क्यों बन गए भूत –
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यह भी एक सवाल उठता है कि आखिर फौजी लोग भूत क्यों बन गए थे, आखिर इसके पीछे क्या घटना है? गांव के लोग इस प्रश्न के जवाब में एक घटना का जिक्र करते हैं। वे बताते हैं कि जब यह गांव आबाद था उस समय कुछ फौजी लोग अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे थे। अचानक उनकी गाड़ी खाई में गिर गई और उस हादसे में सब लोग मर गये, पर उनमें से 8 फौजी जिन्दा थे और वहां के गांव वालों से मदद की भीख मांग रहे थे परन्तु गांव के लोग मदद करने के बजाय उनके सामान लूटने में लगे हुए थे। समय पर मदद न मिलने के कारण फौजी भी मर गये। उस समय के बाद इस गांव में बहुत सी अजीब घटनाएं होने लगीं और बच्चे से लेकर बूढ़े तक किसी अदृश्य शक्ति में स्वयं को कैद महसूस करने लगे। इसके बाद लोगों ने इस गांव से धीरे-धीरे पलायन शुरू कर दिया और यह गांव खाली होता चला गया। आज यह गांव पूर्णत: खाली हो चुका है और कोई व्यक्ति यहां नहीं रहना चाहता।