भिखारी शब्द सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है? यकीनन एक ऐसा शख्स जिसकी हालत इतनी दयनीय हो कि उसके पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी और तन ढकने के लिए अच्छे कपड़े तक ना हों, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि लन्दन में भिखारियों का एक ऐसा समूह है जो भिखारी शब्द के मतलब से कोसों दूर हैं, लेकिन फिर भी वह भीख मांगते हैं। दरअसल ये कोई मामूली भिखारी नहीं हैं। इन भिखारियों के पास अपने खुद के आलिशान घर हैं। यह लोग प्रतिदिन लगभग 120 यूरो से भी अधिक की कमाई कर लेते हैं। यह इतने समृद्ध हैं कि इनकी कमाई देश के प्रधानमंत्री से बस थोड़ी ही कम होगी।
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भिखारियों के इस समूह में कुल 13 भिखारी हैं। इन लोगों की सालाना आय तकरीबन 43 हज़ार यूरो है। अगर इन पैसों को रुपए में बदलें तो लगभग 42 लाख रुपए होते हैं। इतनी अधिक कमाई बहुत अच्छा वेतन पाने वालों की भी नहीं होती, लेकिन यह भिखारी करोड़पति हैं और अय्याशी से अपना जीवन बिता रहे हैं।
पुलिस के अनुसार ये सभी 13 भिखारी प्रोफेशनल हैं। मतलब यह किसी मजबूरी से भीख नहीं मांगते बल्कि भीख मांगना इनका पेशा है। पूरे दिन भर यह लोग जो पैसा जमा करते हैं उससे अय्याशी किया करते हैं। यह समूह लोगों से पैसे मांगता है या फिर उन्हें खाना खिलाने को कहता है, लेकिन शहर में लोगों के पास समय की कमी रहती है और वह इन्हें खाना खिलाने की जगह पैसे देकर आगे चले जाते हैं। इसके बाद बाकी लोगों पर भी यह इसी तरह की तरकीब आजमाते हैं और दिन के आखिर तक मालामाल हो जाते हैं।
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लेकिन ग्रेट ब्रिटेन में भीख मांगना एक कानूनी अपराध है। यहां की सरकार इस बात का पूरा ख्याल रखती है कि देश का कोई भी व्यक्ति भूखा ना हो। इस स्थिति से निपटने के लिए यहां कई सरकारी योजनाएं भी चलती हैं। भीख मांगने के खिलाफ सख्त कानून होने के बाद भी भिखारियों का यह गिरोह लगातार भीख मांग कर और अधिक समृद्ध होता जा रहा है। लोग भी इन्हें भीख देकर कानून की अवहेलना करने के साथ-साथ इनकी जेबें भर रहे हैं।