दालचीनी का उपयोग खूशबू के लिए खाने में किया जाता है। इस मसाले का आज हमारी रसोइयों में अहम स्थान है। कोई भी बढ़िया पकवान बनाते वक्त इसे खाने में जरूर डाला जाता है।
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लेकिन एक समय ऐसा था जब इस मसाले के कारण एक भीषण युद्ध छिड़ गया था। इस युद्ध में हज़ारों लोगों की जान गई थी। उस समय यह मसाला काफी कीमती हुआ करता था। दालचीनी की कीमत 16वीं और 17वीं शताब्दी में चांदी से 15 गुना ज्यादा थी।
दालचीनी से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी हैं, जो इस प्रकार हैं –
17वीं शताब्दी में दालचीनी की मांग इतनी बढ़ गई थी कि इसके लिए पुर्तगालियों और डच लोगों के बीच लड़ाई छिड़ गई। इस जंग को सिनेमन वॉर नाम दिया गया। यह जंग इतनी भयानक थी कि इसमें 11 हज़ार लोगों की जान गई।
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रोम के शासक नीरो का मनाना था कि उनकी दूसरी पत्नी का निधन उनकी वजह से हुआ है। इस बात का प्रायश्चित उन्होंने सबीना की अंत्येष्टि के दौरान दालचीनी जलाकर किया।
1500 बीसी में इजिप्ट की रानी ने दालचीनी का एक जहाज सिर्फ इसलिए मंगवाया था, क्योंकि वह इससे अपना परफ्यूम बनवाना चाहती थीं।
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15वीं सदी में कोलंबस द्वारा दालचीनी को वेस्ट के देशों से इंट्रोड्यूस करवाया गया।
रोम के लोग ऐसा मानते थे कि शव के पास दालचीनी जलाने से शव से बदबू नहीं आती। यह वहां एक परंपरा थी।
दुनिया में सबसे पहले दालचीनी सिलोन यानी कि आज के श्रीलंका में पाई गई थी। इसके बाद विश्व में यह हर जगह फैली। आज भी यहां सबसे ज्यादा दालचीनी उगाई जाती है। असल में इसे पेड़ की छाल से प्राप्त किया जाता है।
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मिस्र में ममी को दाल चीनी में ही रखकर दफनाया जाता है।
बाइबल में दालचीनी का प्रयोग तेल के रूप में करने की बात कही है।
दालचीनी में एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।