बहुत से ऐसे भी स्थान अपने देश में हैं जिनके साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है। हालांकि इन स्थानों से जुड़ी कहानियों पर कोई दावा नहीं करता है, फिर भी इन स्थानों पर उन किस्से-कहानियों का असर आज भी साफ़ दिखता है। ऐसी ही एक कहानी एमपी के ग्वालियर जिले में स्थित कनकमठ शिव मंदिर से भी जुड़ी है। इस कहानी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भूतों ने रात में शुरू किया था, पर मंदिर को बनाते-बनाते सुबह हो गई तो भूतों को मंदिर निर्माण का कार्य छोड़ कर वापस जाना पड़ा। लोगों का कहना है कि इसीलिये यह मंदिर आज तक अधूरा है। देखा जाए तो मंदिर से जुड़ी भूतों की इस कहानी का कोई प्रमाण तो नहीं है, पर मंदिर का निर्माण आज से लगभग 1000 साल पुराना माना जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण कार्य कछवाह राजवंश के राजा महाराज कीर्तिराज के समय में हुआ था।
मंदिर निर्माण की एक मान्यता यह भी-
Image Source: http://i9.dainikbhaskar.com/
ऐसा भी कहा जाता है कि महाराज कीर्तिराज की पत्नी “कनकवती” की इच्छा एक शिव मंदिर बनवाने की थी। इसलिए उनकी इच्छा की पूर्ति के लिए ही कीर्तिराज ने इस मंदिर का निर्माण 11 वीं. शताब्दी में किया था। इस मंदिर के निर्माण कार्य की खास बात यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी चूने या ग़ारे का प्रयोग नहीं किया गया है। इस मंदिर की ऊंचाई 115 फिट है और यह उत्तर भारतीय निर्माण शैली में बना मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में एक अद्भुत शिवलिंग स्थापित है।