आजकल ऐसा देखने में आ रहा है कि लोगों में सहनशीलता बहुत ही कम हो गई है। छोटी-छोटी समस्याओं को भी आज लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं। जरा-जरा सी बात पर ही कभी देश को अपशब्द कहने लगते हैं तो कभी सरकार को। हालांकि अभिव्यक्ति की आजादी सबको दी गई है, पर इसका यह मतलब तो नहीं है कि हम अपने दिमाग का ढक्कन बंद कर के कुछ भी बोलते चले जाएं।
देश भी मां की तरह ही होता है, जो हमें अपनी छत्रछाया में रखता है। बिल्कुल उसी प्रकार से जिस प्रकार से हमारी मां हमें बचपन से अपना दूध पिलाकर बड़ा करती है, पर आज के समय में रिश्तों की डोर सिर्फ डोर ही बनकर रह गई है। आज के समय में एक मां क्या यह उम्मीद कर सकती है कि उसका बच्चा बड़ा होकर उससे कभी बहस भी कर सकता है। आज आदर की सीमा बहुत पीछे रह गई है और हम बहुत आगे निकल आये हैं और इस आगे निकलने में ही नैतिकता कहीं खो गई है। इसी बात का प्रमाण देता है यह वीडियो।