हरियाणा में चल रहे जाट आंदोलन के आगे सरकार ने अपने घुटने टेक दिए हैं। सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर जाटों को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही सीएम खट्टर ने प्रदर्शनकर्ताओं से आंदोलन को खत्म करने की अपील भी की है। हरियाणा सरकार ने इस मामले में नया बिल जारी करने का फैसला किया है। इसी के साथ सीएम ने विपक्ष की पार्टियों से भी नया बिल बनाने में मदद मांगी है। हालांकि इस बिल को लाने में कितना समय लगेगा इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है।
सांसद अपना बयान लेंगे वापस-
सीएम खट्टर ने जाटों को भरोसा दिलाया कि बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी अपने दिए हुए बयान वापस लेंगे। दरअसल सांसद सैनी ने कुरुक्षेत्र में कहा था कि अगर जाटों को आरक्षण मिलेगा तो वो इस्तीफा दे देंगे। वो जाटों के आरक्षण को लेकर विरोध में थे।
समीक्षा के लिए बनाई कमेटी-
राज्य सरकार ने समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई है जो 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सीएम का कहना है कि वो इस आरक्षण को लेकर स्थायी समाधान चाहते हैं। कमेटी बनाने का फैसला सीएम खट्टर ने सर्वदलीय बैठक में लिया था।
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क्या थे हालात?
हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर एक चिंगारी ने आग पकड़ ली थी, जिसको लेकर सरकार काफी चिंता में आ गई थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि सरकार ने गुरुवार रात से पूरे राज्य में इंटरनेट सर्विस तक बंद कर दी थी। आंदोलन का असर रोहतक से लेकर सोनीपत, झज्जर तक में देखा जा रहा था। सरकार को एडिशनल पुलिस फोर्स तक तैनात करनी पड़ी थी। इसके चलते सरकार ने 21 फरवरी तक स्कूल, कॉलेज को बंद करने के आदेश दिए थे।
जाट नेता चाहते थे कि उनकी कम्युनिटी को ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण मिले, लेकिन हरियाणा सरकार इस मांग पर राजी नहीं थी। हालांकि अब सरकार ने नया बिल पास करने का फैसला किया है।