आपने अभी तक हीर रांझा, रोमियो जूलियट और लैला मजनू आदि की प्रेम कहानियों के ही बारे में सुना होगा, लेकिन इन चर्चित प्रेम कहानियों के अलावा भी कई प्रेम कहानियां हैं जो अपने आप में ही नई दास्तां बयां करती हैं। इन प्रेम कहानियों की तरह हर किसी का प्रेम नहीं होता। मध्य प्रदेश के दूरस्थ इलाके में रहने वाले दो लोगों ने ऐसी ही मोहब्बत कर अपनी प्रेम कहानी को अमर बना दिया है। इस प्रेम कहानी को जिसने भी सुना उसे लैला मजनू की याद आ गई।
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प्रेम में किसी का कोई जोर नहीं होता, वो तो बस हो जाता है। प्रेम को इस बात की कोई फ्रिक नहीं होती कि वो अंजाम तक पहुंचा या नहीं। प्रेम तो दो दिलों की भावना है, जो बस एक दूसरे से जुड़ी रहती है। आज हम आपको ऐसी ही एक अजब प्रेम कहानी के बारे में बता रहे हैं। मध्य प्रदेश के एक दूरस्थ इलाके में जंगलों के बीचों बीच स्थित हीरापुर गांव में जुड़ी इस प्रेम कहानी में एक दम्पति ने अपने अटूट प्रेम को साबित किया। यह 95 साल के खेमला पटेल और 90 साल की उनकी पत्नी जयंती की कहानी है। ये दोनों उम्र के अंतिम दौर में भी एक साथ रहकर खुशी पूर्वक अपना जीवन बिता रहे थे। गांव के सरपंच बलराम ने बताया कि खेमला और उनकी पत्नी जयंती की शादी करीब 74 वर्ष पहले हुई थी। दोनों की संतान नहीं थी। इस पर जयंती ने खुद खेमला से कहा कि वह दूसरी शादी कर लें, लेकिन खेमला तो अपनी पत्नी से ही प्रेम करते थे। ऐसे में उन्होंने किसी और से शादी नहीं की। खेमला ने अपने दो छोटे भाइयों को अपने बच्चों की तरह ही पाला था।
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बीते कुछ दिनों से दोनों पति-पत्नी की तबियत खराब चल रही थी। तीन दिन पहले आधी रात को पत्नी जयंती की मृत्यु हो गई। किसी कारणवश तुरंत जयंती का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका था। उधर, पत्नी की मृत्यु के बाद खेमला भी काफी बीमार हो गए और उनका भी निधन हो गया। इस तरह के अटूट प्रेम को देखते हुए गांव वालों ने निर्णय लिया कि इन दोनों की एक ही चिता पर अंत्येष्टि कर दी जाए। इन दोनों की अंत्येष्टि से पूर्व दोनों को दुल्हा-दुल्हन की तरह ही सजाया गया था। इनके प्रेम के लिए गांव भर में लोगों ने उनकी आत्मा की शांति की दुआ मांगी।