आप सभी को जानकर दुख होगा कई फुट मोटी बर्फ की परत के नीचे मौत को मात देने वाले हनुमंथप्पा अब हमारे बीच नहीं रहे। 6 दिन तक माइनस 45 डिग्री में उन्होंने जिंदगी और मौत के बीच चल रही जंग को तो जीत लिया, लेकिन बाहर आकर आखिर वह अपनी जिंदगी की जंग हार गए। उनको बचाने के लिए जहां लाखों-करोड़ों लोग दुआएं कर रहे थे, वहीं डॉक्टरों की लाख कोशिशों के साथ लोगों की दुआएं भी उन्हें नहीं बचा पाईं। उन्होंने गुरुवार को आर्मी अस्पताल में 11.45 बजे अंतिम सांस ली।
देश के इस जांबाज सैनिक का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उनकी मौत का कारण उनके सभी अंगों का काम नहीं करना बताया है। डॉक्टरों का कहना है कि 6 दिन तक बर्फ के नीचे दबे रहने के कारण हनुमंथप्पा के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जिस कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। बता दें कि सियाचिन के इस जांबाज का आज कर्नाटक के धारवाड़ जिले में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होने वाला है, जो कि उनका पैतृक गांव है।
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जैसा कि सबको पता है कि सियाचिन में 3 फरवरी को आए बर्फीले तूफान में हनुमंथप्पा सहित उनके 9 साथी चपेट में आ गए थे। इस हादसे में अन्य सैनिक तो शहीद हो गए, लेकिन सिर्फ हनुमंथप्पा 6 दिन बाद बर्फ में दबे रहने के बावजूद जिंदा निकले थे। उनका आर्मी के अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन अंगों के सही से काम ना करने की वजह से वह डीप कोमा में चले गए थे जिसके बाद कल उन्होंने अंतिम सांस ली। इस घटना के बाद से उनका पूरा परिवार, गांव वाले सहित पूरा देश शोक में डूबा हुआ है।
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हनुमंथप्पा के शहीद होने की खबर फैलते ही राजधानी में उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता उमड़ गया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से लेकर थलसेना अध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी हनुमंथप्पा को श्रद्धांजलि दी है। बता दें कि शहीद हनुमंथप्पा को श्रद्धांजलि देने वालों में कई जानी मानी हस्तियां भी शामिल हुईं। वहीं, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शहीद हनुमंथप्पा की मां को एक पत्र लिखकर शोक व्यक्त किया है।