देखा जाए तो देश और दुनिया में कई प्रकार की परंपराएं बहुत ही अजीबोगरीब हैं। इन परंपराओं के पीछे किसी प्रकार का वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं होता फिर भी कई इलाकों में इन परंपराओं को काफी समय से संचालित किया जा रहा है। आज हम आपको ऐसी ही एक परंपरा के बारे में बता रहे हैं जिसे परंपरा की जगह अंधपरंपरा ही कहा जा सकता है। इस परंपरा में घर के बुजर्गों को ही मार डाला जाता है।
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कहां है यह परंपरा-
इस अंधपरंपरा का “तमिलनाडु” में पालन किया जाता है। इसमें घर के बुजुर्गों को घर के सदस्यों द्वारा ही मार दिया जाता है। तमिलनाडु राज्य की इस परंपरा को ‘ठलाईकूठल‘ कहा जाता है। इस परंपरा के तहत जो भी परिवार अपने बुजर्गों का पालन-पोषण नहीं कर पाता है वो इस परंपरा के नाम पर बुजुर्ग लोगों की हत्या कर देता है। इस परंपरा के आधार पर की गई इस प्रकार की हत्याओं को यहां के समाज में सम्मानजनक माना जाता है। इस परंपरा को निभाते समय इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाता है कि पुलिस को इस बात की भनक न लगे।
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कब-कब निभाई जाती है यह परंपरा –
1- जब बुजुर्ग की सेवा करने का समय घर के सदस्यों के पास न हो।
2- जब बुजुर्ग परिवार के लिए बोझ बन जाएं।
3- जब किसी बुजुर्ग को कोई ऐसी बीमारी हो जाये जो लाइलाज हो।
4- जब आर्थिक तंगी की वजह से बुजुर्ग का इलाज करवा पाने में परिवार असमर्थ हो।
किन तरीकों से निभाई जाती है यह परंपरा –
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1- इस तरीके में बुजुर्ग को मिट्टी मिला पानी पिलाया जाता है, जिससे उसका पेट ख़राब हो जाता है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है।
2- इस तरीके में बुजुर्ग को सुबह-सुबह तेल से नहलाया जाता है और दिन में कई गिलास नारियल पानी पिलाया जाता है। जिसके कारण बुजुर्ग के गुर्दे ख़राब हो जाते हैं और 2 दिन में उसकी मृत्यु हो जाती है।
3- इस तरीके में नाक बंद करके दूध पिलाया जाता है जिसके कारण बुजुर्ग की सांस रुकने से मृत्यु हो जाती है।