सांप एक रेंगने वाला जीव है। इसीलिए उसे सरीसृप प्रजाति में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सांप हमेशा से एक रेंगने वाला जीव नहीं था। हो सकता है आपने कभी यह सोचा भी ना हो कि सांप के पैर क्यों नहीं होते। एक रिसर्च से इस तरह के सभी सवालों का जवाब मिला है। साइंटिस्ट को एक 90 लाख वर्ष पुराने सांप के जीवाश्म मिले हैं, जिससे सांपों के विकास का पता चलता है।
यह एक रोचक जानकारी है। साइंटिस्ट ने इस सांप के अवशेषों से आधुनिक सांपों की तुलना की तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई।
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1.वैज्ञानिकों ने दोनों तरह के सैम्पल्स का सिटी स्कैन किया, जिससे यह पता लगा कि सांपों के पैर गायब होने के लिए उनके पूर्वज ही जिम्मेदार हैं।
2.एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रमुख रिसर्चर होंग्यु यी के मुताबिक साइंटिस्ट के लिए यह बात लंबे समय से रहस्य का कारण बनी हुई है कि सांपों के पैर कैसे धीरे-धीरे गायब हो गए। इस रिसर्च से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांपों ने अपने पैर बिल में रहने के कारण खोये हैं।
3.बिलों में रहने के कारण सांपों ने रेंगना शुरू किया और अपने पैरों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया। इसलिए सांप रेंगने के आदि हो गए और पीढ़ी दर पीढ़ी उनके पैर गायब होते गए।
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4.साइंटिस्ट ने अपनी रिसर्च में क्रेटेशियस स्नेक की 3 मीटर लंबी, कान की अंदरूनी हड्डी का सिटी स्कैन किया। यह परिक्षण डिनिलिसया पैटागोनिका नाम की विलुप्त प्रजाति के जीवाश्म के साथ किया गया। इस रिसर्च से सामने आया कि आज के सांपों की तरह डिनिलिसया पैटागोनिका सांप की प्रजाति भी अपनी नली (कैनाल) और गुहा (कैविटी) का इस्तेमाल कर अपने सुनने की क्षमता को कंट्रोल करती थी।
5.एक 3डी मॉडल की मदद से साइंटिस्ट ने आज के सांपों के कानों के भीतरी भाग की तुलना जीवाश्म से की। इससे उन्हें पता लगा कि जीवाश्म के कान में एक तरह की विशेष संरचना है, जिसकी मदद से यह सांप शिकारियों और अपने शिकार का पता लगाते थे।
6.इस अध्ययन से उन्हें एक महत्वपूर्ण बात पता चली कि आज के जमीन और पानी में रहने वाले आधुनिक सांपों में यह ख़ास संरचना नहीं पाई जाती।
7.इस रिसर्च में सांपों के विकास से जुड़े कई तथ्य पता चले और यह भी सिद्ध हो गया कि बिल में रहने वाला सबसे बड़ा सांप डिनिलिसया पैटागोनिका ही था।