बाबा बर्फानी की अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है, पर उस रास्ते में ही पड़ने वाले कश्मीर के 900 वर्ष पुराने शिव मंदिर को कम लोग ही जानते हैं, इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं इस प्राचीन शिवालय और इस शिवलिंग के बारे में। आपको जानकारी देने के लिए हम बता दें कि बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से यात्रा शुरू हो चुकी है और बाबा बर्फानी के स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए हजारों लोग पहुंच रहें हैं। इस यात्रा में यात्री सबसे पहले बालटाल तथा पहलगाम(कश्मीर) में पहुंचते हैं। पहलगाम में ही एक 900 वर्ष प्राचीन शिवालय है, आइए जानते हैं इस शिवालय के बारे में।
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300 वर्ष पुराने इस शिवालय का नाम “ममल मंदिर” है। यह एक प्राचीन मंदिर है। यह कश्मीर के पहलगाम में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर वर्ष के 12 महीने खुला रहता है। इस मंदिर की देखरेख वर्तमान में कश्मीर सरकार करती है। आपको हम यह भी बता दें कि इस मंदिर का निर्माण राजा जय सूर्या द्वारा कराया गया था।
वर्तमान में अमरनाथ जानें वाले बहुत से यात्री इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। कश्मीर में रहने वाले हिंदू लोगों तथा पर्यटकों के लिए यह मंदिर काफी महत्त्व रखता है। वर्तमान में कश्मीर घाटी जब आग में सुलग रही है, तब भी यह मंदिर अपने स्थान पर शांत तथा स्थिर खड़ा है। इस मंदिर का नाम आखिर किस प्रकार “ममल मंदिर” पड़ा और इस नाम का असल मतलब क्या है? इस बारे में अभी तक कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है।
कश्मीर के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का नाम मंदिर के निर्माता राजा जयसूर्या के समय से यही पड़ा हुआ है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान गणेश को एक रक्षक के रूप में खड़ा किया गया था और उनसे कहा गया था जब तक तुमको आज्ञा न मिले तब तक तुम किसी को अंदर नहीं आने देना इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि मामल शब्द का अर्थ “मत जाओ” होता है जो कि गणेश जी की घटना से ही लिया गया है। मंदिर के नाम का सत्य क्या है, वह अलग बात है। आप कभी अमरनाथ जाएं तो इस मंदिर में जरूर जाएं।