अपने देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो हिंदू-मुस्लिम लोगों के बीच भेदभाव को जन्म देते हैं, ऐसे में महज 5 वर्ष की एक मुस्लिम बच्ची ने भगवत गीता की “सस्वर पाठ प्रतियोगिता” को जीत कर इस प्रकार के सभी लोगों को चकित कर डाला है। जी हां, हालही में एक 5 वर्ष की बच्ची ने भगवत गीता की प्रतियोगिता को जीत कर यह साबित कर दिया है कि हिंदू या मुस्लिम लोगों में भेदभाव की नीतियां अब काम नहीं करेंगी, क्योंकि इस दोनों ही तबकों के लोग साक्षर हो चुके हैं और एक दूसरे के अधिकारों के प्रति जागरूक हो चुके हैं।
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जानकारी के लिए हम आपको यह बता दें कि यह प्रतियोगिता ओडिसा में हुई थी, जिसमें सौवनिया आवासीय स्कूल की पहली क्लास में पढ़ने वाली “फिरदौस” नामक इस 5 वर्ष की बच्ची ने अपने सीनियर छात्रों को पीछे कर पहला स्थान पाया है। आश्चर्य यह है कि यह बच्ची पहली ही क्लास में पढ़ती है और इस उम्र में बच्चे सही से वर्णमाला को भी सही से पढ़ नहीं पाते, वहीं इस बच्ची ने भगवत गीता को याद कर इस प्रतियोगिता में पहला स्थान पाया है। इस प्रतियोगिता के मुख्य जज बिरजा कुमार पाती ने इस बच्ची की प्रंशसा करते हुए कहा कि बच्ची की प्रतिभा असाधारण है। फिरदौस का अपनी इस जीत के बारे में कहना है कि “मेरे शिक्षकों ने मुझे जियो और जीने दो का पाठ पढ़ाया है और मुझे नैतिक शिक्षा का ज्ञान दिया है”, दूसरी और फिरदौस की मां आरिफा बीबी अपनी बेटी की जीत के बारे में कहती है कि “मुझे उसकी मां होने पर फक्र होता है तथा मुझे यह जानकार बहुत अच्छा लगा कि मेरी बेटी हिन्दू धर्म ग्रंथ की परीक्षा में पहले स्थान से पास हुई है।” देखा जाए तो अपने देश में कई मुस्लिम व्यक्ति ऐसे भी हैं जो गीता पर अपने लेक्चर देते हैं और काफी लोग उनको सुनते भी हैं, पर महज 5 वर्ष की अवस्था में इस मुस्लिम बच्ची द्वारा भगवत गीता को याद कर उसकी परीक्षा में प्रथम स्थान पाने का यह मामला लोगों को चकित कर देता है।