आपने बीमारियों के ईलाज के लिए कई प्रकार की चिकित्सा थेरपी देखी होंगी, पर क्या आप जानते हैं कि अपने देश में कीड़े की मदद से भी बीमारियों का ईलाज किया जा रहा है। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे कीड़े तथा उससे की जा रही चिकित्सा के बारे में बता रहें हैं। जिसकी सहायता से बहुत कम खर्च में कई बीमारियों का सफलतापूर्वक ईलाज किया जा रहा है।
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आपको बता दें कि कीड़े से ईलाज की यह थेरपी देश के राज्य मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में की जा रही है। यह कीड़ा सामान्य तौर पर जोंक के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान में शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सालय में जोंक थेरेपी से आम लोगों की चिकित्सा की जा रही है। चिकित्सा शास्त्र में इस थेरेपी को लीच थेरेपी के नाम से जाना जाता है।
डॉ. दीपक नायक इस थेरेपी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि “वर्तमान में जोंक थेरेपी से लोगों के त्वचा संबंधी कई रोगों का ईलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इस थेरेपी में मरीज के शरीर के कई हिस्सों जैसे चेहरे, सिर तथा पेट आदि पर जोक छोड़ दी जाती हैं और वे मरीज के गंदे खून को चूस जाती हैं तथा प्रभावित अंग पर हिरुदिन नामक पेप्टाइड छोड़ देती है। जिसकी सहायता से मरीज का घाव भर जाता है। इस प्रकार से गन्दा खून शरीर से निकल जाता है तथा अधिक आक्सीजन वाला शुद्ध ब्लड शरीर में बहने लगता है। इस प्रकार मरीज स्वस्थ होने लगता है। वर्तमान में इस थेरेपी के जरिए कील-मुहांसो, दाद, नासूर आदि रोगों का ईलाज किया जा रहा है। इस थेरेपी से मरीजों को काफी लाभ पहुंच रहा है।”
मरीजों ने बताएं अनुभव
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इस थेरेपी से बहुत से लोगों को लाभ हुआ है। उन सभी ने अपने अनुभव भी सांझा किए है। नगरकोट की निवासी ताराबाई का कहना है कि उनके पैरों की नसे फूल जाती थी। कई स्थानों पर उन्होंने ईलाज कराया पर फायदा नहीं हुआ। वे अब 2 माह से जोंक थैरेपी ले रही हैं और उनको बहुत आराम है। डॉ नायक का कहना है कि वह इन जोंको को नागपुर से “60 से 70 रुपये प्रति जोंक के हिसाब से लाते हैं तथा एक जोंक 4 मरीजों पर कार्य कर देती है। थेरेपी के बाद जोंक को उलटी कराई जाती है ताकि वह अपने अंदर से गन्दा ब्लड निकाल दे।” इस प्रकार से कम खर्च में मरीजों को अपनी बीमारी से राहत मिल रही है।