इसमें दो राय नहीं कि हमारा देश भारत काफी तरक्की कर चुका है, लेकिन यह बात भी गलत नहीं कि अभी भी हमारे देश में महिलाओं की स्थिति पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है। आज भी कुछ क्षेत्र और कुछ काम ऐसे हैं जो पुरुषों के लिए माने जाते हैं। ऐसे में अगर कोई आपसे यह कहे कि एक महिला राजमिस्त्री का काम करती है और वह वृद्ध है तो अचंभा होना लाजमी है। इतना ही नहीं इस वृद्ध महिला ने अपने आस-पास की महिलाओं और वृद्ध लोगों के लिए सामुदायिक शौचालय बनवाने तक की पहल की है। यहां हम बात कर रहे हैं कानपुर में रहने वाली कलावती की। आइए जानते हैं कलावती व उनके कामों के बारे में।
Image Source:
कलावती एक राजमिस्त्री हैं और यह अपने आप में उनकी एक काफी बड़ी उपलब्धी है क्योंकि राजमिस्त्री का काम पुरुषों को ही करते हुए देखा जाता है। कलावती ना सिर्फ राजमिस्त्री का काम करती हैं बल्कि अपने इस काम में पूरी तरह से पारंगत भी हैं। यहां तक कि उनके साथ काम करने वाले लोग उनसे राय मश्विरा भी लेते हैं। अपनी इसी काबिलियत के बल पर कलावती महिलाओं व गरीबों के लिए साझा शौचालय बनवाती हैं। कानपुर में राजा का पुरवा इलाका रेल की पटरियों के आस-पास स्थित है। यहां सन् 1991 से पहले मल मूत्र सहित अन्य गंदगी सड़कों पर ही बहती थी। कलावती की पहल पर अब वहां एक सामुदायिक शौचालय बन चुका है, जिसमें 50 सीटें हैं। इतना ही नहीं यहां महिलाओं के लिए 5 स्नानागार भी बने हुए हैं। इन सुविधाओं के शुरू होने के बाद से यहां के लोग काफी राहत महसूस करते हैं। कलावती के जज्बे ने कानपुर के इस पिछड़े और उपेक्षित इलाके की स्थिति ही बदल दी।
Image Source:
कलावती ने बताया कि स्थानीय एनजीओ श्रमिक भारती के बारे में उनके पति ने बताया। यह एनजीओ शहरी झुग्गियों के लिए काम करती है। इस एनजीओ के बारे में जानने के बाद कलावती ने उनके साथ मिल कर काम करना शुरू कर दिया। श्रमिक भारती एनजीओ के अधिकारी भी कलावती की काबिलियत की काफी प्रशंसा करते हैं।