आज के समय में ऐसे बहुत से स्थान आपको किताबों में स्टडी करने को मिल जाएंगे जो आज आपकी इस दुनिया में नहीं हैं। यानि कभी इनका अस्तित्व रह चुका है पर आज ये नहीं हैं। पुरातन समय से कई ऐसी संस्कृतियां प्रकाश में आई जिनकी मानसिकता विक्षिप्त ही कही जा सकती है। हाल ही में इस्लामिक स्टेट ने भी कई धरोहरों को ढहा दिया है। जैसा कभी हिन्दुस्तान में भी विदेशी आक्रांताओं द्वारा किया जाता था। ये सारे कट्टरपंथी संगठन किसी क्षेत्र विशेष की साझी संस्कृति और विरासत को तबाह करना ही अपना कर्तव्य समझते हैं। बहरहाल आप सभी के समक्ष पेश हैं दुनिया की कुछ मशहूर कृतियां व स्थल जो आतंकवादियों के निशाने पर रह चुके हैं।
1. कंबोडिया के पुरातन स्थल
सन् 1975 से 1979 के बीच Khymer Rouge ने लगभग 20 लाख कंबोडियाइ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। उन्होंने इस दौरान लगभग 3000 पुरातन मंदिरों को भी तबाह कर दिया। उन्होंने न सिर्फ मंदिरों, मूर्तियों, धार्मिक ग्रंथों बल्कि साहित्य को भी खासा नुकसान पहुंचाया। उन्होंने इस दौरान 75 कैथोलिक चर्चों को भी भारी नुकसान पहुंचाया था। गौरतलब है कि हिन्दुओं के सबसे बड़े और पवित्रत मंदिर के तौर पर मशहूर अंकोरवाट मंदिर भी कंबोडिया में ही है। इस कट्टरपंथी संगठन ने कई मूर्तियों और स्थल विशेष की चीजों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करी करते भी पकड़ा गया।
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2. आंबेर रूम
सेंट पीटर्सबर्ग के नजदीक व कैथरीन पैलेस के भीतर स्थित यह बेहतरीन कलाकृति कभी दुनिया के 8 आश्चर्यों में शुमार किया जाता था। इसे फ्रेडरिक विलियम प्रथम ने पीटर द ग्रेट को तोहफे के रूप में दिया था। नाजियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसे बर्बाद कर दिया था। इसे उन्होंने कैरेटों में बंद करके कोनिग्सबर्ग भेज दिया था। आंबेर रूम उसके बाद जनता कभी न देख सकी।
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3. गाव सने
सन् 2012 में अरब और टुआरेग के मुस्लिम आतंकी संगठनों ने इस 11वीं सदी के अभिलेखीय स्थल को तबाह कर दिया। यहां एक पिरामिडीय टॉम्ब था, दो समतल छतनुमा मस्जिद थे, एक कब्रगाह थी और एक खुला एसेम्बली स्थल भी था। यूनाइटेड नेशंस के सांस्कृतिक अफसरों की मानें तो यहां लगभग 90 प्रतिशत तक तबाही की गई है। यहां अफ्रीका के पारम्परिक कपड़ों और संगीत के साजो-सामान को भी तबाह कर दिया गया था। यहां 15वीं सदी का एक मदरसा भी टिंबकटू के नजदीक ही ढहा दिया गया था।
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4 . क्राक देस कावालियर
सन् 1142 से सन् 1271 के बीच निर्मित इस ऐतिहासिक धरोहर को तब तक खासी प्रसिद्धि प्राप्त थी जब तक वह सीरियाई लड़ाकों और सरकारी लड़ाई का केन्द्र नहीं बना था। यूनेस्को ने इसे विश्व का धरोहर घोषित कर रखा था, मगर अफसोस कि इसे जंग में किले के तौर पर इस्तेमाल किया गया और धीरे-धीरे गोले-बारूद और बम के हमलों से यह विरासत तबाह होती चली गई।
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5 . निमरूद
13वीं सदी ईसा पूर्व में मोसुल के दक्षिणी भाग में स्थित निमरूद कभी नव असीरी साम्राज्य की राजधानी के तौर पर जाना जाता था। हालांकि आज इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि इस्लामिक स्टेट ने इसका कितना नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइटों से दिखने वाले नजारों में कभी दुनिया के खूबसूरत शहरों के तौर पर शुमार यह शहर आज बिल्कुल से तबाह हो गया है। यूनेस्को ने निमरूद की तबाही को युद्ध अपराध की संज्ञा दी है।
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6 . खोर्साबाद
इस ऐतिहासिक स्थल का तबाह हो जाना इस्लामिक स्टेट द्वारा तबाही का एक और भयावह नजारा है। मोसुल से 9 मील की दूरी पर स्थित यह शहर आज नेस्तोनाबूत कर दिया गया है।
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7 . मोसूल का म्यूजियम
बगदाद के उत्तर में स्थित यह अजायबघर इराक का दूसरा सबसे बड़ा अजायबघर था। इस्लामिक स्टेट के सिरफिरे लड़ाकों ने इस अजायबघर की मूर्तियों और ऐतिहासिक इमारत को तबाह कर दिया। अलग-अलग लोग इसे लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं मगर फिर भी जो कुछ हुआ वो अफसोसनाक है।
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8 . अफगानिस्तान का राष्ट्रीय संग्रहालय
नेशनल जियोग्राफिक की मानें तो इस संग्रहालय का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा आज तबाह हो चुका है और इसका जिम्मेदार तालिबान है। तालिबानी लड़ाकों ने यहां की ढेरों मानवीय और जानवरों से मिलती-जुलती कलाकृतियों को तबाह कर दिया। उन्होंने सदियों पुरानी इस कला और संस्कृति को तबाह कर दिया। यहां प्रदर्शनी देखने गए लोगों का तो दिल छलनी हो जाता है। यहां महात्मा बुद्ध की भी एक बेहतरीन प्रतिमा थी जिसे तोड़ दिया गया।
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9 . बामियान के बुद्ध
मार्च 2001 में तालिबान ने बुद्ध की प्रतिमा को डायनामाइट से उड़ा दिया। यह प्रतिमा 8200 फीट की थी। अब आप इसके भव्यता का अंदाजा तो लगा ही सकते हैं, मगर इससे तालिबान को उनकी संस्कृति खतरे में नजर आने लगी थी। तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद ओमार को यह मूर्ति पसंद नहीं थी और उसने इसे तबाह करने की ठान ली। अब आप इसे पागलपन कहेंगे या फिर संस्कृति का रक्षक।