रावण जैसा बुद्धिमान, ज्ञानी और ध्यानी शायद ही विश्व में कहीं कोई और हो। शिव की अटूट भक्ति करने के बाद भी ऐसी क्या वजह थी कि वह मारा गया? रावण को परमपिता ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि वह मनुष्यों और बंदरों को छोड़कर और किसी के हाथों से मारा न जाए। वह मनुष्यों और बंदरो को टुच्छ समझता था, इसलिए यह भूल कर बैठा और ऐसा वरदान मांग बैठा। अगर रावण ये एक बात नहीं कहता तो श्रीराम भी उसका वध नहीं कर पाते।
रावण के अत्याचारों से ऋषि-मुनियों की दशा निरंतर खराब हो रही थी। पूरे विश्व में हाहाकार मच गया। उसने छल-बल से सभी देवताओं को पराजित कर दिया। उसकी आज्ञा पाकर राक्षस धर्म का नाश करने लगे। तब श्री हरि विष्णु ने राम अवतार लेकर उसका वध किया।
रावण को अपनी शक्ति पर बहुत अभिमान था। इसलिए उसने मनुष्यों और वानरों को छोड़कर किसी अन्य के हाथों न मरने का वरदान ब्रह्मा से मांगा। अंत में मनुष्य व वानरों के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ। इसलिए कभी भी किसी को अपने से कम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी चींटी भी हाथी को मार सकती है। रावण का अभिमान ही उसकी इस दशा का कारण बना।