अपना देश भारत आस्था, त्योहार और उत्सवों का देश है। यहां पर बहुत से अलग-अलग धर्मों, जातियों और सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। ये लोग अपनी-अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार अपना जीवन जीते हैं, लेकिन तब क्या होता है जब आस्था और विश्वास किसी अंधविश्वास में बदल जाता है। असल में तब कई प्रकार की अंधविश्वासी मान्यताएं हमारे समाज में अपना घर बना लेती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी ही अंध मान्यताओं के बारे में जिनको आपने पहले शायद ही सुना हो।
1- छत से फेंकते हैं बच्चे को –
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बच्चों को छत से फेंकने का कार्य अपने देश में दो जगह होता है। एक महाराष्ट्र में बाबा उमर की दरगाह पर और दूसरा कर्नाटक के सन्तेश्वर मंदिर में। असल में इन दोनों स्थानों पर बच्चों को छत से नीचे की ओर फेंकने के पीछे यह मान्यता है कि इससे बच्चे और बच्चे के परिवार का भाग्य चमक जाता है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा करने से बच्चा स्वस्थ रहता है। इन दोनों जगहों पर बच्चे को करीब 50 फ़ीट की ऊंचाई से फेंका जाता है और नीचे खड़े परिवार के लोग उसे चादर से पकड़ते हैं। इस परंपरा को चलते हुए करीब 700 साल हो चुके हैं और हिन्दू तथा मुस्लिम लोग बड़ी संख्या में अपने बच्चों को लेकर यहां पहुंचते हैं।
2- यहां कराई जाती है मेंढकों की शादी –
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शायद आप लोगों को पता न हो पर त्रिपुरा और असम राज्य में वर्षा कराने के लिए मेंढकों की शादी कराई जाती है। असल में अपने देश के ऐसे कई हिस्से हैं जहां पर कम वर्षा होती है इसलिए इन राज्यों में ऐसा किया जाता है। यहां के लोगों की ऐसा करने के पीछे यह मान्यता है कि इस प्रकार का कार्य करने से भगवान इंद्र खुश हो जाते हैं और अधिक बारिश करते हैं।
3- चर्म रोगों के लिए फूड बाथ –
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कर्नाटक के कुछ इलाकों में मंदिर में भोज के बाद में बचे हुए खाने पर बहुत से लोग लेटने लगते हैं। यहां पर बचे हुए खाने के ऊपर इस प्रकार से लेटने की परंपरा है और इस परंपरा के पीछे लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने के बाद आपको चर्म रोगों और गलत कर्मों से छुटकारा मिल जाता है। बचे खाने पर लेटने के बाद लोग कुमारधारा नदी में स्नान करते हैं और इस प्रकार से यह परंपरा चलती आई है।
4- शरीर को छेद देते हैं लोग –
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यह एक ऐसी परंपरा है जिसमें लोग अपने शरीर को छेद देते हैं। यह परंपरा मध्यप्रदेश के बैतूल में होती है। इस परंपरा में लोग एक पारम्परिक उत्सव पर अपने शरीर को छेद डालते हैं। इसके पीछे उन लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से चेचक के रोग से बच जाते हैं। अपने शरीर को छेड़ने के बाद ये लोग नाचते और गाते हैं।