भगवान कुबेर का नाम आपने सुना होगा। कुबेर को देवताओं का धनपति माना जाता है। आज हम आपको बता रहें हैं 1400 वर्ष पुराने भगवान कुबेर के एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां दर्शन करने वाले के पास कभी धन की कमी नहीं होती है। आपको बता दें कि धौलागढ़ महादेव मंदिर नामक यह मंदिर भगवान शिव तथा भगवान कुबेर का एक ऐसा मंदिर है जहां पर दोनों ही स्थापित है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर से महज 5 किमी की दूरी पर खिलचीपुरा गांव में स्थित है। इस मंदिर की दूर-दराज के क्षेत्रों में भी काफी मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया में 2 ही ऐसे स्थान हैं जहां पर “शिव पंचायत” में भगवान कुबेर भी उनके साथ हैं। इन 2 स्थानों में से एक स्थान यह धौलागढ़ महादेव मंदिर ही है। इस मंदिर की प्रतिमा को गुप्तकाल की माना जाता है और यह प्रतिमा 1400 वर्षों से इस मंदिर में स्थापित है। इतिहासकार मंदिर की इस 1400 वर्ष पुरानी भगवान कुबेर की प्रतिमा के बारे में कहते हैं कि यह प्रतिमा उत्तर गुप्त काल की है और इसका निर्माण लगभग 7वीं शताब्दी में हुआ था। भगवान कुबेर की इस प्रतिमा की लंबाई लगभग 3 फिट की है। इस प्रतिमा में भगवान कुबेर को बड़े पेट वाला, सीधे हाथ में धन की थैली लिए हुए दर्शाया गया है। मंदिर में भगवान शिव और कुबेर के अलावा भगवान गणेश तथा देवी पार्वती की प्रतिमाएं भी स्थित हैं।
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धौलागढ़ महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी कन्हैयालाल गिरी का कहना है कि भगवान कुबेर की यह प्रतिमा करीब डेढ़ हजार वर्ष पुरानी है और यह गुप्तकाल की मानी जाती है। पहले यह प्रतिमा किसी अन्य स्थान पर थी, पर बाद में इसको इस मंदिर में स्थापित कर दिया गया था। इस प्रतिमा की प्रसिद्धी के कारण अब लोग धौलागढ़ महादेव मंदिर को “कुबेर मंदिर” के नाम से भी जानने लगे हैं। इस मंदिर के दरवाजे में कभी भी ताला नहीं लगाया जाता है। आज भी इस मंदिर के द्वार हमेशा खुले ही रहते हैं।