देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी ख़ास विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वह भी अपनी ख़ास विशेषता के लिए जन साधारण में प्रसिद्ध हैं। मान्यता हैं कि यहां पर जो भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगता हैं। उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती हैं। इस मंदिर की वास्तु कला भी अपने आप में अलग हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर दक्षिण भारत में न होने पर भी इसकी कलाकृति तथा रूपरेखा दक्षिण भारतीय मंदिरो के जैसी ही हैं।
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इस ख़ास मंदिर को “अन्नपूर्णा मंदिर” कहा जाता हैं। यह इंदौर में स्थित हैं। यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए भी बेहद प्रसिद्ध हैं। आपको बता दें कि इंदौर का यह सबसे प्राचीन मंदिर हैं। लोगों का कहना हैं कि यहां मांगी गई हर मन्नत अवश्य पूरी होती हैं। यह मंदिर इंदौर के दक्षिणी छोर पर स्थित हैं।
इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ तथा आर्य स्थापत्य शैली के अनुसार किया गया हैं। इसकी ऊंचाई 100 फिट से भी अधिक बताई जाती हैं। यह मंदिर अन्नपूर्णा देवी को समर्पित हैं। इन्हें भोजन की देवी भी माना जाता हैं।
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देखने में यह मंदिर यह दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर जैसा लगता हैं। इस अन्नपूर्णा मंदिर का प्रवेश द्वार काफी विशाल हैं और इस मुख्य द्वार पर चार बड़े हाथियों की प्रतिमा भी स्थापित हैं। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर कुछ पौराणिक कथाओं की छवियों का चित्रण किया गया हैं। मंदिर के भीतर देवी दुर्गा, भगवान शिव, भैरव देव आदि की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में भगवान काशी की एक 14 फिट की प्रतिमा भी मौजूद हैं।
यह प्रतिमा कमल के सिंहासन पर स्थित हैं। जोकि मंदिर में मौजूद प्रतिमाओं में से सबसे आकर्षक प्रतिमा है। इसके बारे में बताया जाता हैं कि यह प्रतिमा प्रभानंद स्वामी जी आज से लगभग 57 वर्ष पहले जयपुर से लेकर आये थे और उन्होंने ही इस मंदिर में इसकी स्थापना भी की थी।