वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर- रोग मुक्ति के नाम पर कराया जाता है मिर्च से स्नान

-

अपने देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं जहां अलग अलग तरह की प्रथाओं को माना व उनका पालन किया जाता है। लेकिन यहां हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहें हैं। जिसमें लोगों को मिर्ची पाऊडर से स्नान करा कर आग पर चलाया जाता है। असल में मिर्ची पाऊडर से नहला कर आग पर चलाना इस मंदिर की प्राचीन परंपरा है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि हमारा देश प्राचीन समय से परम्पराओं तथा प्रथाओं का देश रहा है। यही कारण है कि यहां के प्रत्येक राज्य में वहां की अलग भाषा तथा संस्कृति के मुताबिक अलग अलग परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है।

आज जिस मंदिर के बारे में आपको बताया जा रहा है। वह देश के कर्नाटक राज्य में स्थित है। अतः यहां भी वहां के धार्मिक रीती रिवाजों तथा मान्यताओं के अनुसार प्राचीन परम्पराएं प्रचलित हैं। इस मंदिर का नाम “वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर” है। जितना अजीब और अनोखा इसका नाम है। उतनी की अनोखी इस मंदिर में निभाई जाने वाली “चिली अभिषेक” नामक परंपरा है। इस परंपरा में लोगों को मिर्च पाऊडर खिला कर उनको उसी से स्नान कराया जाता है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस परंपरा के बारे में।

मंदिर ट्रस्ट के तीन लोगों का होता है चिली स्नान –

मंदिर ट्रस्ट के तीन लोगों का होता है चिली स्नानImage source:

इस परंपरा में वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर के ट्रस्ट के तीन लोग अपने हाथ में पवित्र कंगन पहनकर पूरे दिनभर उपवास रखते हैं। इसके बाद इन तीनों लोगों का मुंडन किया जाता है तथा इन लोगों का पूजन कर सभी के बीच में बैठाया जाता है। इसके बाद मंदिर का मुख्य पुजारी इन तीनों को पूज्य व्यक्ति मान कर 108 प्रकार की चीजों के लेप से इनका लेपन करते हैं। इन लेपन में सब से ज्यादा दिलचस्प चिली लेप होता है। इस चिली लेपन में पहले तीनों लोगों को मिर्च पाऊडर खिलाया जाता है। इसके बाद उनके शरीर पर मिर्च का लेप किया जाता है। सबसे आखिर में तीनों लोगों पर नीम का लेप किया जाता है तथा उनको मंदिर के अंदर ले जाता है। मंदिर के अंदर “धीमिति प्रथा” का आयोजन किया जाता है। जिसमें इन तीनों को जलते हुए कोयलों के ऊपर चलना होता है। इन सभी प्रथाओं के पीछे गांव के लोगों की पुरानी मान्यता है। आइये अब आपको बताते हैं इस प्रथा के पीछे की मान्यता के बारे में।

भगवान से शुरू कराई थी यह प्रथा –

भगवान से शुरू कराई थी यह प्रथाImage source:

इस अनोखी प्रथा के बारे में वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर के पास स्थित इद्यांचवाडी गांव के लोग काफी जानकारी देते हैं। ये लोग बताते हैं कि यह परंपरा शुरू हुए अभी मात्र 85 वर्ष ही हुए हैं। कहा जाता है कि “हरिश्रीनिवासन नामक एक व्यक्ति ने नीम के पेड़ से निकलते गोंद को खा लिया था जिसके बाद वहां भगवान प्रकट हो गए। उन्होंने कहा कि इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करों तथा चिली अभिषेक की रस्म को शुरू करों। ऐसा करने पर गांव के लोग बीमार नहीं पड़ेंगे। इसके बाद यह परंपरा शुरू हुई और आज तक चल रही है।” कुल मिलाकर क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए मंदिर के ट्रस्ट के तीन लोग प्रतिवर्ष इस प्रथा को निभाते हैं।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments