होने वाले बच्चे को आप स्वयं ही तय कर सकते हैं वो लड़का होना चाहिए या लड़की

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शादी के बाद में हर लड़की को कभी न कभी तो मां बनाना ही होता है परंतु परेशानी तब आती है जब आपको आपकी पसंद का बेबी नहीं मिल पाता है। कई बार लोग लड़के की चाहत करते हैं और लड़की हो जाती है और कई बार लोग लड़की की चाहत करते हैं पर लड़का हो जाता है। ऐसे में हम आपको कुछ टिप्स दे रहें हैं जो की आपको आपका पसंदीदा बेबी दिलाने में सहायक होंगे।

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जेंडर स्वेयिंग यानी लिंग प्रभाव की कई थ्योरी अब सामने आ चुकी हैं। इन सभी थ्योरीज में हार्मोन लेबल से लेकर डाइट चेंज करने के बारे में और उनसे होने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है। एक थ्योरी में यह भी बताया गया है कि इस प्रकार से सेक्स की टाइमिंग पर भी काफी फर्क पड़ता है। इस थ्योरी के अनुसार “ओव्यूलेशन से कुछ दिनों पहले कंसीव करने से लड़की जबकि ओव्यूलेशन के दिन कंसीव करने से लड़का होता है।” बताया गया है कि इसे 50 सालों से लगातार अपनाया जा रहा है।

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इसके अलावा एक थ्योरी आपकी डाइट से भी जुडी हुई है, इसके अनुसार “हाई कैलोरी और अनहेल्थी डाइट खाने वाली मां ज्यादातर बेटी को जन्म देती है।” यह भी कहा जा रहा है कि एक्सरसाइज की वजह से भी बच्चे जेंडर में फर्क आता है यानी कम एक्सरसाइज करने वाली महिलाओं के अधिकतर बेटा पैदा होता है और जिन महिलाओं में प्रोजेस्टोरॉन की ज्यादा मात्रा होती है तथा टेस्टोरॉन की मात्रा कम होती है, वह लड़की को जन्म देती हैं। डॉक्टर बेटसन ने इन सब थ्योरी के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है कि इनमें से किसी के भी पुख्ता सबुत नहीं हैं क्योंकि ये सभी थ्योरी साइंटिफिकली बेस्ड नहीं हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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