जैसा की आप जानते ही हैं भारतीय रेल विभाग लगातार यह कोशिश कर रहा है कि किस प्रकार से यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दी जा सकें और किस प्रकार से यात्रियों के सफर को अधिक से अधिक मनोरंजक बनाया जाए, इस बारे में कई बदलाव रेल विभाग द्वारा रेल कोच में किए गए हैं पर अब इस कार्य को और आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेल कुछ इस प्रकार की ट्रेन चलाने वाली है जो की देखने में न सिर्फ सुन्दर होगी बल्कि जिनकी छत भी कांच की होंगी, भारत का रेल विभाग वर्तमान में इस प्रकार की अल्ट्रा लग्जूरियस ट्रेन को बनाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा चुका है।
Image Source:
इस बारे में IRCTC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एके मनोचा ने बताया है कि “इस प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और भारत तथा विदेश से रईस पर्यटकों को लुभाना है। इन कोच का निर्माण साल 2015 से शुरू हुआ था, जिन्हें IRCTC, रिसर्च डिजाइंस एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) और पेरंबूर की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) ने डिजाइन किया है। IRCTC के ग्रुप जनरल मैनेजर (इंफ्रास्ट्रक्चर) धम गज प्रसाद ने कहा है कि इस तरह का पहला कोच इसी महीने (अक्टूबर) दौड़ने को तैयार है।”
Image Source:
मनोचा आगे कहते हैं कि “पहला कोच कश्मीर की एक सामान्य ट्रेन में लगाया जाएगा जबकि बाकी दो को दक्षिण-पूर्वी रेलवे की खूबसूरत अराकू वैली (केके लाइन, वॉल्टियर स्टेशन) से गुजरने वाले ट्रेनों का हिस्सा बनाया जाएगा। स्विट्जरलैंड जैसे खूबसूरत देशों में भी कई ट्रेनें कांच की छतों वाली हैं जिन्हें टूरिस्ट्स के लिए बनाया हैं। हमें लगता है कि ऐसे कोचेज भारत में रेल टूरिज्म को बदलकर रख देंगे।” मनोचा ने कहा कि “एरियल व्यू वाले कोचेज की ट्रेनों पर बाद में फैसला लिया जाएगा। इन कोचेज में आरामदायक सफर के लिए पैरों के लिए ज्यादा जगह होगी। पिछले महीने रेलवे ने प्रस्ताव दिया था कि ट्रेनों में स्टेट-आफ-द-आर्ट इंफोटेनमेंट सिस्टम, फिल्में, टेलिविजन शो, म्यूजिक, स्पोर्ट्स, किड्स शोज, आध्यात्म, गेम्स, राजतंत्र, समाचार, फैशन और लाइफस्टाइल के विकल्प दिए जाएं।”
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस बारे में बताया है कि “यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए मोदी सरकार लगातार काम कर रही है। यह भी उसी दिशा में लिया गया एक कदम है।”, तो अब हो जाए तैयार उन ट्रेन्स में सफर के लिए जिनको अब तक आप सिर्फ विदेशों में ही चलते हुए अपने टीवी स्क्रीन पर देखते थे।