हमारा देश बहुत बड़ा है और यही कारण है कि अपने देश के हर कोने पर एक अलग संस्कृति आपको देखने को मिलती है। शायद इसीलिए हमारे देश को विभिन्न संस्कृतियों का देश कहा जाता है। कभी किसी हस्ती ने कहा था कि “भारत की आत्मा गांवों में बसती है।” यह काफी हद तक सही भी है क्योंकि भारत को यदि करीब से जानना है तो आपको भारत के बड़े शहर छोड़ गांवों का अनुभव करना ही पड़ेगा।
आज हम आपको एक ऐसे ही गांव से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसकी अपनी अलग ही संस्कृति और सभ्यता है। यहां के कायदे-कानून भी बहुत अलग और अनोखे हैं।
कहां है यह गांव-
गांव के स्थान की बात करें तो यह गांव हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में स्थित है। इस गांव का नाम मलाणा है। हिमाचल की बात करें तो यह भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक राज्य है। हिमाचल का शाब्दिक अर्थ है “बर्फीले पहाड़ों से घिरा स्थान।” हिमाचल को “देव भूमि” भी कहा जाता है।
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क्या है यहां की परंपरा-
इस गांव में वैसे तो कई प्रकार की परम्पराएं हैं पर यहां की सबसे अजीब और प्रसिद्ध परंपरा यह है कि आप यहां की किसी भी चीज़ को नहीं छू सकते हैं। यदि आपने कभी भूल से भी ऐसा किया तो आपको 1000 रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इस गांव में जगह-जगह पर बोर्ड लगाये गए हैं, जिन पर साफ़-साफ़ लिखा है कि “इस गांव की किसी वस्तु को न छुएं अन्यथा आपको जुर्माना देना पड़ेगा।”
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अजीब धार्मिक विश्वास-
यहां के लोगों के धार्मिक विश्वास भी बहुत अलग और अजीब हैं। असल में यहां के लोग अपने को सिकंदर का वंशज मानते हैं और जो भाषा ये लोग बोलते हैं उसमें भी कई प्रकार के ग्रीक शब्द हैं। यह भारत का एकमात्र गांव है जहां शहंशाह अकबर की उपासना की जाती है। इस गांव की अजीबो-गरीब परम्पराओं के कारण ही यहां पर बहुत से पर्यटक आते हैं। बताया जाता है कि 2000 साल पुरानी विश्व की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था यहां कायम है। आप कभी भी यदि हिमाचल जाएं तो इस गांव में जरूर जाएं, पर याद रखें कि यहां की किसी चीज़ को भूल से भी हाथ न लगाएं।