आज का इतिहास- ‘सारे जहां से अच्छा…’ के गीतकार इक़बाल का हुआ निधन

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मशहूर शायर इक़बाल की शायरी को भला कौन नहीं जानता। उनके द्वारा लिखे हर शब्द हिंदुस्तान की कौमी एकता की पहचान कराते हैं। उनके दिल में हमेशा हिन्दुस्तान बसा करता था जो किसी जात-पात की दीवार में नहीं बंटा था, तभी तो उन्होंने इस एकता को बनाये ऱखने के लिये ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ जैसे गीत को लिखकर पूरे हिंदुस्तान को एहसास करा दिया कि जिस तरह भगत सिंह के दिल में पूरा हिन्दुस्तान बसा था, उसी तरह इक़बाल के रग-रग में भी देश के प्रति प्रेम व समर्पण की भावना कूट कूट कर भरी थी। हिंदुस्तान हो या पाकिस्तान दोनों देशों के लोगों के लिए इक़बाल शायर कम और पीर ज़्यादा थे। हर देश भक्त इकबाल को पूजने लगा था। तभी तो लोग आज भी उनकी कब्र पर जाकर दुआ मांगते हैं।

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महान देशभक्त और कौमी एकता की मिसाल बने इक़बाल का जन्म 9 नवम्बर 1877 को सियालकोट के पंजाब में हुआ। इकबाल के पूर्वज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे जो बाद में सियालकोट आकर बस गये। इकबाल भले ही काफी दिन तक मुस्लिम लीग से जुड़े रहे हों पर उन्होंने धार्मिक और राजनैतिक दर्शन के साथ-साथ गरीबी, अत्याचार, गुलामी जैसे हालातों को परखा और अपनी शायरी के माध्यम से अपनी बात को व्यक्त भी किया। उन्होंने लिखा था कि ‘जिस खेत से दहक़ां को मयस्सर नहीं रोज़ी उस ख़ेत के हर ख़ोशा-ए-गुन्दम को जला दो।’ इनकी मशहूर रचनाओं में असरार-ए-ख़ुदी, रुमुज़-ए-बेख़ुदी और बंग-ए-दारा आदि शामिल हैं। इसके साथ देशभक्ति से भरा तराना-ए-हिन्द ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ गीत गा कर उन्होंने देश भक्ति की पहचान इस गीत के माध्यम से व्यक्त की। इनकी लिखी गई शायरी किसी एक देश तक सीमित ना होकर ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में भी काफी चर्चित हुई है। जिसके लिये उन्हें इक़बाल-ए-लाहौर भी कहा जाता रहा है।

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इसका अलावा इकबाल को अल्लामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल) शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) जैसी सम्मान जनक उपाधियां भी दी गईं। इकबाल 21 अप्रैल 1938 को इस दुनिया से रुख़सत हो गए। देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता से कूट-कूटकर भरे उनके गीतों की हर पंक्तियां आज भी उनके देश के प्रति प्रेम को याद दिलाती हैं। आज वो भले ही हमारे बीच नहीं हैं पर अपनी शायरी के माध्यम से मशहूर कवि इकबाल अजर और अमर हो गए।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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