2 मई का दिन भारतीय सिनेमा के लिए बहुत ही खास महत्व रखता है। आज के ही दिन सन् 1921 को सत्यजीत रे का जन्म हुआ था जो बीसवीं सदी के सबसे महानतम फिल्मी हस्तियों में से एक थे। इनका जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था।
सत्यजीत रे ने यथार्थवादी फिल्मों के एक नए स्वरूप को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। सत्यजीत रे को हिन्दी सिनेमा में एक बेहतरीन फिल्म निर्देशक के रूप में जाना जाता है। सत्यजीत रे की सबसे खास बात यह थी कि वो अपने फिल्म निर्माण से संबंधित कई कार्यों को स्वयं ही कर लेते थे। एक फिल्मकार के अतिरिक्त वह एक बहुत ही अच्छे कहानीकार, फिल्म आलोचक और चित्रकार भी थे।
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सत्यजीत रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली थी। उनकी यह फिल्म बांग्ला साहित्य की एक प्रसिद्ध फिल्म बिल्डुंग्सरोमान पर आधारित थी। इन्होंने अपने पूरे जीवन में कुल 37 फिल्मों का निर्देशन किया। जिनमें से कई फिल्में फीचर, कई वृत चित्र तथा लघु फिल्में भी शामिल हैं।
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सत्यजीत रे ने अपने जीवन काल में कई पुरस्कार भी जीते हैं। उन्हें 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले। इसके अतिरिक्त भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म श्री, पद्म विभूषण तथा रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया है, लेकिन घरे बाहरे नाम फिल्म इनके जीवन के लिए बहुत ही खराब फिल्मों में से एक रही। इस फिल्म के बाद से ही सत्यजीत रे का स्वास्थ्य खराब रहने लगा। जिसके बाद 23 अप्रैल 1992 को इनकी मृत्यु हो गई। आज सत्यजीत रे भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी बेहतरीन फिल्में हमेशा हमें उनकी याद दिलाती रहेंगी।