विश्व के इतिहास में आज के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं लेकिन भारत के इतिहास के पन्नों में आज का दिन बेहद खास माना जाता है। आज के दिन यानी की 27 मई 1964 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आधुनिक भारत के निर्माता के साथ ही आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंतिम सांस ली थी। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चाचा नेहरू एकदम अचानक से ऐसे दुनिया को अलविदा कह जाएंगे। वह पहाडों पर छुट्टियां मनाकर दिल्ली लौटे ही थे कि उन्हें अगली सुबह सीने में दर्द की तकलीफ हुई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका।
उस वक्त उनकी बेटी इंदिरा गांधी उनके साथ मौजूद थी। केन्द्रीय मंत्री सी सुब्रमणयम ने नेहरू जी के निधन की जानकारी को सार्वजनविक किया था। जिसके बाद देश में शौक की लहर दौड़ गई। राज्यसभा में उन्होंने रोते हुए गले से कहा कि – “प्रकाश नहीं रहा”। वहीं उनके निधन के साथ ही उनके उत्तराधिकारी के नाम पर भी चर्चाएं और विचार विमर्श होना शुरू हो गया था। फिर गुलजारी लाल नंदा ने भारत देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
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बता दें की नेहरू जी के नेतृत्व के कायल दुनिया के कई बड़े नेता थे। नेहरू जी ने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच छिड़े शीत युद्ध के कारण गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरूआत भी की थी। उनके कार्यकाल में भारत देश में तरक्की की शुरूआत हुई, कॉलेज खुले, पॉलीटेक्निक, आईआईएम और आईआईटी खुली। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने कार्यकाल में चाचा नेहरू ने भारत देश को दूसरे देश पर निर्भर होने की बजाए अपने पैरों पर खड़े होने का आत्मविश्वास दिया था। उन्होंने तमाम मुश्किलों को झेलने के बाद धर्मनिरपेक्ष ठांचे की नई नींव रखी थी। बता दें की जब उनके निधन की खबर फैली तो पूरा देश रोया। उनकी अंतिम यात्रा में करीब ठाई लाख बच्चों, महिलाओं ने, पुरूषों ने उनके अंतिम दर्शन किए थे। आज उनकी इस पुण्यतिथि पर हम भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।