बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ यात्रा की शुरूआत 2 जुलाई से शुरू हो रही है, देश विदेश से लाखों भक्त यहां हर साल पहुंचते हैं पर क्या आप जानते हैं की बाबा बर्फानी के इस स्थान की खोज किसने और कब की थी और किस प्रकार से ये स्थान एक तीर्थ बना। इन प्रश्नों के उत्तर बहुत कम और गिने चुने लोग ही जानते हैं इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं इन प्रश्नों से जुड़ी सच्ची घटना के बारे में।
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जैसा की आप जानते ही हो की अमरनाथ की गुफा हिमालय की ऊंची घाटी पर स्थित है इसलिए ही यहां पहुंचने वाले लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता है इतनी ऊंचाई पर आखिर सबसे पहले कौन आया होगा और किसने यहां सबसे पहले पहले बाबा बर्फानी के दर्शन किये होंगे तो आपको दे की इस प्रश्न के उत्तर लोक मान्यताओं एवं उत्तर पुराण में मिलता है। इन सबसे अलग एक मान्यता यह भी है कि इस पवित्र गुफा की सबसे पहले खोज एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा की गई थी, इस मुस्लिम व्यक्ति का नाम था बूटा मालिक। बूटा मालिक भेड़ चराता था। उस समय ही बूटा को यह गुफा मिली थी। आज भी बूटा मालिक के परिवार वाले लोग इस गुफा की देखभाल करते हैं। लोगों का कहना है कि बूटा एक सीधा सच्चा इंसान था। एक दिन वह अपनी भेड़ों को चराता हुआ काफी दूर निकल गया।
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बर्फीले इलाके में उसकी मुलाकात एक साधु से हुई, साधु ने बूटा को हाथ सेकने के लिए एक जलती हुई छोटी अंगीठी दे दी। बूटा जब अपने घर पंहुचा तो उसने देखा की उस अंगीठी में कोयले की जगह सोना है तो यह देख कर वह बहुत हैरान हुआ और खुश भी। उस साधु का धन्यवाद करने के लिए वह फिर से उसी स्थान पर पहुंचा पर इस बार उसको साधु नहीं मिला बल्कि बाबा बर्फानी की गुफा मिली। बूटा मालिक इस गुफा को देखने इसके अंदर चला गया और उसको बाबा बर्फानी बर्फ के बने शिवलिंग के दर्शन हुए। बूटा ने इस शिवलिंग के बारे में अपने गांव के प्रधान से बात की और उसके बाद यह खबर तत्कालीन राजा राज दरबार में पहुंची और उसके बाद सारे देश में फैल गई और इस स्थान पर लोगों का आवागमन धीरे-धीरे शुरू हो गया। इस प्रकार से यह स्थान एक तीर्थ स्थान बन गया।