एक और जहाँ हिन्दू और मुस्लिम के बीच सम्प्रदायवाद के बहुत से कारण देखने को मिलते है वहीं बहुत से ऐसे स्थान हैं जो हिन्दू और मुस्लिम धर्म के बीच प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देते है। हालांकि ऐसे कई स्थान हमारे देश के अलग अलग भागों में है पर हम यहाँ आपको केरला के एक ऎसे स्थान के बारे में बता रहे है जो की कई वर्षो से कौमी एकता और भाईचारे की मिसाल बनी हुई है। यह मुल्लापुरम की बलियागाड़ी जुमाल मस्जिद है।
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केरला के मल्लापुरम की वलियांगाड़ी जुमाम मस्जिद तीन शताब्दियों से क़ौमी एकता का स्तंभ बन कर खड़ी हुई है। यहां की एक लोक कथा के अनुसार 290 साल पहले कोहज़ीकोड़े के एक मंत्री के साथ युद्ध में कुनहेलु की मृत्यु हो गयी थी और उनको वलियांगाड़ी जुमाम मस्जिद में दफ़नाया गया था। तब से आज तक कुनहेलु को स्थानीय हीरो के रूप में देखा जाता है और उनके लिए दुआएं पढ़ी जाती हैं।
इस लोक कथा में बताया गया है कि उस युद्ध में 44 सैनिकों की मृत्यु हुई थी, जिसमें से ‘ठट्टन’ समुदाय के सिर्फ़ कुनहेलु थे जो 43 मुसलमान के साथ लड़ते हुये शहीद हुए थे।
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मंत्री वरक्कल पारा नंबी ने टैक्स के विवाद के चलते इस मस्जिद में आग लगा दी थी जिसके बाद इस क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम परिवार गांव छोड़ कर चले गए थे। लेकिन आखिरकार, ये मसला हल हो गया और नंबी ने मस्जिद फिर से बनवायी और मुस्लिम परिवारों को वापस बुला लिया।
बताया जाता है कि आज भी इस मस्जिद में कुनहेलु के वंशजों को बुलाया जा जाता है और कुनहेलु की याद में कलमें पढ़ी जाती हैं. मल्लापुरम के क़ाज़ी का कहना है कि ये प्रथा हिन्दू-मुस्लिम एकता को दर्शाती है।